तंग आचुकी थी !

तंग आचुकी थी !
* एक मरीज़ा की टांग की हड्डी टूट गई डाक्टर ने प्लास्टर के बाद छुट्टी कर उसे हिदायत की कि सीढियों से उतरना चढ़ना नहीं है ।
तीन माह बाद मरीज़ा आई तो डाक्टर ने प्लास्टर काटा और हड्डी जुड़ने में इतनी देर लगने पर ताज्जुब का इज़हार किया।
मरीज़ा ने बेताबी से पूछा डाक्टर साहिब! अब मैं सीढियों से उतर चढ़ सकती हूँ या नहीं ?
क्यों नहीं !बिलकुल इतमीनान से
शुक्र ख़ुदा का : मरीज़ा ने इतमीनान का सांस लेते हुए कहा तीन माह से मैं तो पाइप केज़रीये से चढ़ उतर कर तंग आचुकी थी!
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तसव्वुर करो!
दोस्त : मेरी बीवी का जब से इंतिक़ाल हुआ है, ग़म के मारे मेरी आँख से आँसू नहीं निकल रहे हैं ?
दूसरा दोस्त : दिल में तसव्वुर करो कि वो फिर से ज़िंदा होगई है , आँसू ज़रूर निकलेंगे !