तक़र्रुरी पर हाइकोर्ट में बेहस जारी

लखनउ 16 नवंबर (नाफ़े क़दवाई) रियासत के बलदियाती इदारों में मेयरों की जगह ऐडमिनिस्ट्रेटर और कारपॊऱेट्ऱो, काउन्सलऱोकी वक़्त मुक़र्ररा ख़तम् किए जाने के रियास्ती हुकूमत के फ़ैसले को उन को लखनउ के एक कारपोरीटर रमेश कपूर उर्फ़ बाबा इलहाबाद हाइकोर्ट में चैलेंज किया है।

दरख़ास्त गुज़ार का कहना हीका चूँकि लखनउ नगरनिगम के कारपोरीटरों ने मेयर ने अपने ओहदे का हलफ़ 14 नवंबर 2007-ए-को ज़रूर लिया था लेकिन नगरनिगम का पहला इजलास 11 फ़बरोरी 2008-ए-से हुआ था इस लिए उन की मुद्दत अभी तक क़ायम नहीं हुई है।

क्योंकि नगरनिगम के क़वाइद-ओ-ज़वाबत की रो से नगरनिगम के इजलास शुरू की तारीख़ से ही नगरनिगम की तशकील होती है। इस लिए उन लोगों की मुद्दत 11 फ़बरोरी 2012-ए-में ख़तन होगी। हाइकोर्ट में इस रिट पर तादम तहरीर बेहस हो रही थी।

इस लिए मुक़द्दमा तेज़ रफ़्तारी से निमटाने केलिए ये ज़रूरी हीका मुक़द्दमा की समाअत रोज़ाना हो वर्ना नहीं तो हर तीसरे रोज़ समाअत हो। सी बी आई के ख़ुसूसी जज ने सी बी आई की इस इस्तिदा को मंज़ूर करके मुक़द्दमा की समाअत कम से कम तीन रोज़ करने का हुक्म दिया।

इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ लाल कृष्ण अडवानी, विष्णु हरी डालमिया उमा भारती समेत 8 मुल्ज़िमान ने हाइकोर्ट में चैलेंज किया। उन्हों ने कहा कि वो अपनी अदीम अलफ़रसती की बिना पर इस मुक़द्दमा में हर हफ़्ता के तीन रोज़ अदालत में नहीं गुज़ार सकते हैं।