तन्क़ीदी बसीरत किसी भी मौज़ू पर तहक़ीक़ के लिए ज़रूरी

हैदराबाद । २६ । अप्रैल : ( प्रैस नोट ) : किसी मौज़ू पर तहक़ीक़ से क़बल मुहक़्क़िक़ को चाहीए कि वो भी नक़्क़ाद की हैसियत से इस मौज़ू पर अपने पेशरू की जानिब से की जाने वाली तहक़ीक़ का तफ़सीली जायज़ा ले उसी वक़्त कोई भी तहक़ीक़ जामि और मबसूततहक़ीक़ कहॆलायगी। इन ख़्यालात का इज़हार कल मुमताज़ मुहक़्क़िक़-ओ-नक़्क़ाद प्रोफ़ैसर सय्यदा जाफ़र, साबिक़ सदर शोबा-ए-उर्दू, जामिआ उस्मानिया-ओ-हैदराबाद सैंटर्ल यूनीवर्सिटी ने शोबा-ए-उर्दू , मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी के अस्सिटैंट प्रोफ़ैसर डाक्टर शमस अलहदा दरयाबादी के तहक़ीक़ी मक़ालात-ओ-मज़ामीन पर मबनी मजमूआ फ़िक्री ज़ावयी की कैंपस में रस्म इजरा अंजाम देने के बाद अपने सदारती ख़िताब के दौरान किया ।

सिलसिला-ए-तक़रीब जारी रखते हुए प्रफेसर सय्यदा जाफ़र ने डाक्टर शमस अलहदा दरयाबादी को उन की इस नई तसनीफ़ की इशाअत पर मुबारकबाद पेश करते हुए फ़िक्री ज़ावीए में शामिल तमाम मक़ालात-ओ-मज़ामीन को रिसर्च के एतबार से जामि क़रार दिया । उन्हों ने तलबा-ओ-स्कालरस पर ज़ोर दिया कि वो किसी भी मौज़ू पर ख़ामा फ़रसाई करते हुए इस बात को मल्हूज़ रुकाएं कि इस मौज़ू पर पहले से किए गए काम में कौन कौन से पहलू या गोशे तिश्ना रह गए हैं। इबतदा-ए-में डाक्टर मुहम्मद नसीम उद्दीन फ़रीस , सदर शोबा-ए-उर्दू , मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी ने इस्तिक़बालिया कलिमात पेश करते हुए प्रोफ़ैसर सय्यदा जाफ़र और प्रोफ़ैसर अशर्फ़ रफ़ी के इलावा इस तक़रीब के एक औरमुबस्सिर प्रोफ़ैसर ख़ालिद सईद का तफ़सीली तआरुफ़ पेश किया ।

डाक्टर मुहम्मद शुजाअतअली राशिद कन्वीनर प्रोग्राम , डिप्टी डायरैक्टर, सी पी डी यू एमिटी, मानव ने फ़िक्री ज़ावीए के मुसन्निफ़ डाक्टर शमस अलहदा दरयाबादी का तआरुफ़ पेश करते हुए निज़ामत केफ़राइज़ अंजाम दुई। प्रफेसर ख़ालिद सईद ने फ़िक्री ज़ावीए पर इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए डाक्टर शमस अलहदा दरयाबादी की इस किताब को असरी और रिवायती तहक़ीक़ का बहरज़ख़्ख़ार क़रार दिया और कहा कि डाक्टर हुदा ने अपने दाख़िली रुजहानात के साथ साथ ख़ारिजी मौज़ूआत को इस ख़ूबसूरती के साथ अपने मज़ामीन में समोया है कि उन्हें पढ़ कर हर क़ारी बिलख़सूस रिसर्च स्कालर या नाक़िद उन के फ़िक्री रवैय्ये के मोतरिफ़ हुए बगै़र नहीं रह सकती। प्रफेसर अशर्फ़ रफ़ी ने फ़िक्री ज़ावीए पर तबसरा करते हुए कहा कि सिर्फ बीस मज़ामीन पर मुश्तमिल डाक्टर हुदा का ये मजमूआ कई मौज़ूआत का रास्त याबिलवासता तौर पर अहाता करता है।

उन्हों ने उर्दू यूनीवर्सिटी के अर्बाब मजाज़ से पर ख़ुलूस अपील की कि वो उर्दू में इबतिदाई तालीम के लिए मॉडल स्कूल में उर्दू की तरक़्क़ी-ओ-तरवीज के साथ साथ इस्लाफ़ के कारनामों और तारीख़ अदब उर्दू से नई नसल को कमाहक़ा वाक़िफ़ करवाने पर तवज्जा दें। प्रफेसर शाह मुहम्मद मज़हर उद्दीन फ़ारूक़ी, ने बहैसीयत मेहमान एज़ाज़ी अपने ख़िताब में तालीम वतालम को एक दूसरे के लिए लाज़िम-ओ-मल्ज़ूम क़रार देते हुए असातिज़ा बिलख़सूस तलबा-ओ-तालिबात पर ज़ोर दिया कि वो अपनी तहज़ीब, सक़ाफ़्त और शनाख़्त को क़ायम-ओ-दाइम रखते हुए असरी उलूम में महारत हासिल करें ।