तन्हाई(अकेला पण) ज़िंदगी की तवालत(लम्बी ) को ख़ासा कम करने का मूजिब बन सकती है। इस बारे में आरकाईओज़ आफ़ इंटरनल मैडीसन नाम के मुजल्ले मैं शाय होने वाले दो नई तहक़ीक़ी रिपोर्टों में कहा गया है।
कैलीफोर्निया के मुहक़्क़िक़ीन ( तहकीक करने वाले) ने छः साल के दौरान 60 बरस से ज़्यादा उमर के 600 अफ़राद का जायज़ा लिया और मालूम किया के वो जिन्हें तन्हाई का एहसास ज़्यादा था, उन के दूसरों की निसबत मरने की शरह दोगुना ज़्यादा थी।
एक दूसरी तहक़ीक़ के मुताबिक़ अमराज़-ए-क़लब(दिल की बीमारी) में मुबतला उन अफ़राद के इन अमराज़ से मरने के इमकानात ज़्यादा होते हैं जो तन्हा हूँ। साईंसदानों का कहना है कि अगर डाक्टर को लोगों की तन्हाई के बारे में इलम हो तो वो मर्ज़ के ख़तरात का बेहतर तौर पर अंदाज़ा लगा सकते हैं।