तनख़्वाहों में इज़ाफे के मुतालिबा पर बैंक मुलाज़िमीन की हड़ताल

कन्वीनर यूनाइटेड फ़ोरम आफ़ बैंक यूनियंस एमवी मुरली ने मर्कज़ी हुकूमत और इंडियन बैंक आफ़ एसोसीएशन से पुरज़ोर मुतालिबा किया कि वो मुल्क भर के बैंक मुलाज़िमीन की तनख़्वाहों पर नज़र-ए-सानी करते हुए उनकी तनख़्वाहों में 25 फ़ीसद इज़ाफ़ा करे।

बसूरत-ए-दीगर उनकी यूनीयन की तरफ से 2 दिसमबर ता 5 दिसमबर मुल्क भर में ज़ोनल सतह पर सिलसिला वार एहतेजाजी प्रोग्राम्स मुनज़्ज़म करने का फ़ैसला किया गया है।

इस बात का एलान यहां यूनाइटेड फ़ोरम आफ़ बैंक यूनियंस के ज़ेर-ए‍एहतेमाम मुनज़्ज़म करदा एक रोज़ा हड़ताल के मौके पर मुनाक़िदा जल्सा-ए-आम को मुख़ातब करते हुए किया। उन्होंने कहा कि बैंक मुलाज़िमीन को हर 5 साल में एक मर्तबा तनख़्वाहों पर नज़र-ए-सानी की जाकर इज़ाफ़ा किया जाता है लेकिन पिछ्ले 5 साल की मीयाद के बावजूद पिछ्ले दो साल से ताहम बैंक मुलाज़िमीन को हसब-ए-साबिक़ 11 फ़ीसद इज़ाफ़ा ही दिया जा रहा है जो सरासर नाइंसाफ़ी है।

उन्होंने बताया कि दूर-ए-हाज़िर में बढ़ती हुई गिरानी के नतीजे में मुलाज़िमीन को अदा की जाने वाली तनख़्वाहें नाकाफ़ी हैं जबकि बैंक मुलाज़िमीन अपनी सेहत और वक़्त की परवाह किए बगै़र बैंक की आमदनी के इज़ाफे की कोशिश में हमेशा लगे रहते हैं
और मुलाज़िमीन की मेहनत के नतीजे में ही बैंक को करोड़ों रूपियों की आमदनी होती है। इस के बावजूद मुलाज़िमीन के मसाइल पर तवज्जा नहीं दी जाती।

उन्होंने कहा कि गर्वनमेंट बैंकों के मुलाज़िमीन पर काम की ज़ाइद ज़िम्मेदारी हुआ करती है और तमाम पर दबाव‌ भी रहता है जबकि ख़ानगी बैंकों पर कोई ज़ाइद ज़िम्मेदारीयां नहीं होतीं। उन्होंने मर्कज़ी हुकूमत और इंडियन बैंक एसोसीएशन पर इल्ज़ाम आइद किया कि इन दोनों की मिली भगत के नतीजे में बैंक मुलाज़िमीन को दरपेश मसाइल जूं के तूं बरक़रार हैं जिन का कोई पुर्साने हाल नहीं है।

इस मौके पर बैंक मुलाज़िमीन की मुख़्तलिफ़ ट्रेड यूनियनों से ताल्लुक़ रखने वाले क़ाइदीन प्रकाश, दामोधर, वेंकट रामिया, जी सुब्रामणियम, सुधा भास्कर, नरसमहम, वीनू गोपाल के अलावा दुसरे यूनीयन क़ाइदीन ने भी मुख़ातिब करते हुए हुकूमत से 25 फ़ीसद तनख़्वाहों में इज़ाफ़ा करने का मुतालिबा किया।