चित्तोड़गढ़ : चित्तोड़गढ़ में आज मानवता को शर्मिंदा करने वाला एक मामला सामने आया। एक लाश को दफनाने को लेकर दो संप्रदाय के लोग आपस में उलझ गए, जिसकी वजह से मृतक को अपने ही शहर में दो गज जमीन भी नसीब न हो सकी। यही नहीं साम्प्रदायिक विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस को बुलाना पड़ गया, फिर भी दफनाया नहीं जा सका और मजबूरन परिजनों को 100 किमी दूर जा कर लाश को दफनाना पड़ा।इस मामले में न केवल मानवता का गला घोंटा गया, बल्कि वक्फ़ अधिनियम के तहत इस कानून की भी धज्जियां उड़ा दी गईं, जो किसी भी कब्रिस्तान में किसी भी संप्रदाय के लोगों को दफन करने की अनुमति देता है।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार स्वर्गीय अहमद हुसैन कई वर्षों से चित्तौड़गढ़ में ही रह रहा था, जिस का बीमारी की वजह से इलाज के दौरान उदयपुर में निधन हो गया।मृतक के परिजन उसे बूंदी रोड स्थित कब्रिस्तान में दफनाने के लिए ले गए, तो कब्र खोदने के बाद बरेलवी पंथ के लोगों ने यह कहते हुए दफन करने से रोक दिया कि अहमद हुसैन तबलीगी जमात से जुड़े थे।
दफन से रोके जाने पर मृतक के परिजनों और बरेलवी संप्रदाय के लोगों के बीच सुबह से शाम तक विवाद चलता रहा। जहां मृतक के परिजन उसे कब्रिस्तान में दफन करने पर अड़े थे, वहीं दूसरे लोग इसकी अनुमति देने को तैयार नहीं थे।मामले को तनावपूर्ण होते हुए देखकर पुलिस ने लाश को 100 किलोमीटर दूर ले जाकर शाम को सुपुर्दे खाक कर दिया। बरेलवी पंथ से जुड़े संगठनों सहित कई मिल्ल्ली और धार्मिक संगठनों ने इस घटना की निंदा की है।
कब्रिस्तान सुरक्षित संघर्ष समिति ने मांग की है कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पुलिस व प्रशासन के उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो, जो कानून की इतनी समझ नहीं रखते कि कब्रिस्तान में किसी को दफनाने से रोका नहीं जा सकता है।
उधर राजस्थान वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अबू बकर नकवी का कहना है कि वह इस मामले में जल्द ही एक बैठक बुलाएंगे और पूरे राजस्थान के लिए आदेश जारी करेंगे कि किसी जो भी किसी भी कब्रिस्तान में दफनाया जा सकता है। जिन लोगों ने शव दफनाने का विरोध किया, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी