तबाहकुन बंद का कोई मुस्तक़बिल नहीं : ममता बनर्जी

मग़रिबी बंगाल की चीफ़ मिनिस्टर ममता बनर्जी ने दावा किया कि बाएं बाज़ू जमातों के ज़ेर-ए-एहतिमाम आज मनाया गया बंद मग़रिबी बंगाल में पूरी तरह नाकाम रहा। उन्होंने कहा कि गुज़श्ता 35 साल के दौरान ये पहला मौक़ा है कि बाएं बाज़ू की जमातों की जानिब से मनाया गया कोई बंद इस रियासत में नाकाम हुआ है।

मिस बनर्जी ने कहा कि इस किस्म के बंद तबाहकुन होते हैं, जिनका कोई मुस्तक़बिल नहीं होता और ये बंद आज यहीं ख़तम हो गया। उन्होंने मज़ीद कहा कि इस बंद की मुकम्मल नाकामी में बाएं बाज़ू की जमातों और क़ाइदीन को ये पैग़ाम भी दे दिया है कि इस किस्म की हड़तालों का कोई मुस्तक़बिल नहीं होता।

मिस ममता बनर्जी ने सेक्रेट्रेट में जहां आज ग़ैरमामूली तौर पर 65 फ़ीसद हाज़िरी रिकार्ड की गई, अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि बंद मग़रिबी बंगाल का मुस्तक़बिल नहीं है और ना ही ये मुल्क़ का मुस्तक़बिल हो सकता है। बंद का तबाहकुन कल्चर आज यहां ख़तम होता है। अब मुस्तक़बिल में किसी को बंद की अपील करने की हिम्मत नहीं होगी।

सी पी आई एम का नाम लिए बगै़र ममता बनर्जी ने इल्ज़ाम आइद किया कि ये पार्टी महिज़ बंदों के बलबूते पर अपने वजूद को बरक़रार रखी हुई है। उन्होंने कहा कि आज के बंद पर अवाम ने जिस किस्म का रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया है जिसको देख कर मुस्तक़बिल में कोई भी बंद की अपील करने की ख़ाहिश (ख्वाहीश)नहीं कर सकता। यहां बंद का कोई असर नहीं हुआ।

ये बंद मुकम्मल तौर पर नाकाम हो गया। अक्सर मुक़ामात पर सरकारी मुलाज़मीन की हाज़िरी सद फ़ीसद रही। मिस बनर्जी ने दावा किया कि अक्सर मुक़ामात पर बाज़ार खुले थे। इलावा अज़ीं बंदरगाहों, कोयले की खानों और सरकारी दफ़ातिर में मामूल के मुताबिक़ काम जारी रहा।