तब्लीग़ी इजतिमा का रक़्त अंगेज़ दुआ के साथ इख्तेताम

भोपाल, २७ नवंबर (पीटीआई) 65 वीं सहि रोज़ा आलमी तब्लीग़ी इजतिमा का इख्तेताम मुल्क में अमन-ओ-अमान और ख़ुशहाली के इलावा हिंदू मुस्लिम इत्तिहाद की रक़्त अंगेज़ दुआ पर हुआ । दुआ हज़रत मौलाना ज़ुबैर अल-हसन ने पढ़ी जिनका ताल्लुक़ नई दिल्ली के निज़ामुद्दीन‌ मर्कज़ से है ।

उन्होंने बीमारों के लिए शफ़ा ए कुल्ली की दुआ की और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से तमाम मुसलमानों को हज़रत मुहम्मद ( स०अ०व०) के बताए हुए रास्ते पर चलने और सुन्नतों पर अमल करने की भी दुआ की । दरीं असना इजतिमा कमेटी के तर्जुमान अतीक़ उल-इस्लाम ने कहा कि सहि रोज़ा इजतिमा के दौरान आलमी सतह पर मशहूर-ओ-मारूफ़ उलमाए दीन जैसे मौलाना ज़ुबैर उल-हसन मौलाना साद उल-हसन मौलाना अहमद मौलाना मुस्तक़ीम मौलाना इस्माईल मौलाना शरीफ़ (बारह बनकी) मौलाना चिराग़ उद्दीन (जयपुर) मौलाना शौकत अली और दीगर ने अपने रूह प्रवर ख़ताबात से इजतिमा की रौनक को दोबाला कर दिया।

अपने ख़ताबात के दौरान उन्होंने मुसलमानों से दरख़ास्त की कि वो पैग़ंबर इस्लाम हसरत महमद ( स०अ०व०) के उस्वा ए हुस्ना को अपनाए और उनके बताए हुए रास्तों पर चल कर ही हमारी दुनिया और आख़िरत संवर जाएगी। मौलाना ज़ुबैर उल-हसन ने इस्लाम में पड़ोसीयों की एहमीयत को उजागर किया और कहा कि अगर पड़ोस में कोई शख़्स भूखा है तो हमें खाने से क़बल उसकी ख़बरगीरी करनी चाहीए।

पड़ोसी होने के लिए मुसलमान होना शर्त नहीं बल्कि हमारा कोई पड़ोसी हिंदू यहूदी ईसाई भी हो तो वो हमारे हुस्न-ए-सुलूक का मुस्तहिक़ है । ये तमाम बातें सिर्फ़ किताबों में पढ़ने के लिए नहीं हैं बल्कि इस पर अमल करने की ज़रूरत है । ऐसा करने से ही दुनिया में आज मुनाफ़िरत के माहौल को ख़त्म किया जा सकता है । इस इजतिमा में हर साल की तरह 381 इजतिमाई शादियां भी अंजाम दी गईं।