कांग्रेस ने आज वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी के हाथों में तमाम तर इख़्तयारात होजाने का इल्ज़ाम आइद किया और कहा कि हुकूमत का ये फ़ैसला कि तमाम दफ़्तर वज़ीर-ए-आज़म को जवाब दिया करें, काबीनी निज़ाम के तईं एहतिराम और उसकी वक़ार घटादेने के मुतरादिफ़ है।
बरसर-ए-इक़तिदार बी जे पी के नुक़्स की निशानदेही की कोशिश करते हुए पार्टी तर्जुमान आनंद शर्मा ने मीडिया के नुमाइंदों को बताया कि मुल्क का वज़ीर-ए-दाख़िला तक अपना प्राईवेट सेक्रेटरी मुक़र्रर नहीं करसकता क्योंकि हुकूमत ने ऐसे अहकाम जारी कर रखे हैं कि वो ओहदेदारान जो इस मंसब साबिक़ा हुकूमत के तहत काम करचुके हैं, वो नई हुकूमत में ये जगह नहीं पा सकते।
शर्मा ने कहा कि ये फ़ैसला मनमानी, इमतियाज़ी और दस्तूर के खिलाफ है और हम इसे जारी रखने और ब्यूरोक्रेसी को सियासी रंग देने की इजाज़त नहीं दे सकते। हुकूमत के एक सरकूलर में कहा गया था कि मजाज़ अथॉरीटी ये फ़ैसला करचुकी है कि कोई भी अफ़्सर ओहदेदार या निजी शख़्स जो साबिक़ा हुकूमत के दौरान किसी वज़ीर या स्टाफ़ में काम करचुका है, इसे मौजूदा हुकूमत में वज़रा के शख़्सी स्टाफ़ की हैसियत से मुक़र्रर नहीं किया जा सकता।
शर्मा ने ये इल्ज़ाम आइद करते हुए कि हिंदुस्तान में पहली बार इक़तिदार को इस तरह पी एम ओ की हद तक मर्कूज़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब वज़ीर-ए-आज़म ख़ुद वज़रा के मोतमिद मुक़र्रर क्या करेंगे। सरकूलर में ये भी कहा गया था कि हुकूमत के सेक्रेटरीज़ दफ़्तर वज़ीर-ए-आज़म को जवाबदेह होंगे।
अब सवाल ये पैदा होता है कि काबीनी वज़रा क्या करेंगे, पार्लीमानी निज़ाम हुकूमत किस के तहत काम करेगा और वज़ारतों को कौन सँभालेंगेगे। पी ऐम ओ ने बताया है कि ब्यूरो क्रेटस को कह दिया है कि वो वज़ीर-ए-आज़म की वैब साईट के ज़रिया वज़ीर-ए-आज़म से रास्त राबिता क़ायम करसकते हैं और हुक्मरानी या दीगर कोई मुआमले में अपनी तजावीज़ से वाक़िफ़ करवा सकते हैं।