तमाम सब्सीडीज़ की बर्ख़ास्तगी नामुमकिन

लंदन,31 जनवरी: वज़ीर फ़ीनान्स पी चिदम़्बरम ने कहा है कि आइन्दा माह पेश किए जाने वाले बजट के लिए सुर्ख़ लकीर खींच ली गई है। ताहम उन्होंने तमाम सब्सीडीज़ बर्ख़ास्त करदेने के अंदेशों को मुस्तर्द कर दिया और कहा कि सिर्फ़ ऐसी सब्सीडीज़ ख़त्म करदी जाएंगी जिस से कोई फ़ायदा नहीं पहूँचा है।

चिदम़्बरम ने कहा कि में सुर्ख़ लकीरें खींच चुका हूँ। सुर्ख़ लकीरें ये हैं कि रवां मालीयाती साल का बजट ख़सारा (मजमूई घरेलू पैदावार का) 5.3 फ़ीसद से ज़ाइद ना होसके। इस तरह आइन्दा साल का बजट ख़सारा 4.8 फ़ीसद से तजावुज़ ना करसके। ये सुर्ख़ लकीर है और इस लकीर से तजावुज़ नहीं किया जाना चाहिये। चिदम़्बरम ने जो लंदन में एक बर्तानवी रोज़नामा फ़ीनांशील टाईम्स को दिए गए इंटरव्यू में ये इन्किशाफ़ किया।

उन्होंने कहा कि टैक्स इंतिज़ामीया को फ़आल बनाते हुए मालिया में इज़ाफे के लिए हुकूमत की जानिब से मुख़्तलिफ़ इक़दामात किए जा रहे हैं। हुकूमत ने अवाम से वादा किया है कि आइन्दा साल शरह निम्मो 6 और 7 फ़ीसद के दरमयान होगी। उन्होंने कहा कि वो चुनांचे में समझता हूँ कि एक मुतवाज़िन-ओ-ज़िम्मेदार बजट के लिए हम ने जो कुछ कहा था, वो तमाम कुछ किया भी है।

कोई बजट एक ज़िम्मेदार बजट के सिवा और कुछ नहीं होता। इस सवाल पर कि आया हुकूमत इस हद तक ताक़तवर है कि वो तेल पर दी जाने वाली सब्सीडी में कटौती करसकती है। चिदम़्बरम ने जवाब दिया कि वो अपने तौर पर कोई ऐलानात करना नहीं चाहते। हुकूमत पहले ही डीज़ल की क़ीमतों की इस्लाह करचुकी है और तेल कंपनीयों को वक़तन फ़वक़तन इन क़ीमतों में मामूली इस्लाहात करने की इजाज़त दी गई है।

चार मुल्कों में अपने रोड शो के पैग़ाम से मुताल्लिक़ सवाल पर चिदम़्बरम ने जवाब दिया कि 2004 और 2009 के दौरान हिन्दुस्तान ने सही मआशी पालिसीयां इख़तियार करते हुए ज़बरदस्त मआशी तरक़्क़ी किया है। हम दरअसल बैरूनी (मआशी) बोहरान से मुतास्सिर हैं। ये भी मकन है कि हम चंद गलतीयां भी किए हैं।