तमिलनाडु में राजनीतिक उठापटक : अम्मा बनना चाहती हैं चिन्नम्मा ?

चेन्नई। तमिलनाडु में कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को शनिवार को उस समय संजीवनी मिल गई जब वी के शशिकला का साथ छोड़कर अन्नाद्रमुक का एक विधायक और चार सांसद उनके साथ आ गए। अब राजनीतिक परिदृश्य, जो पार्टी को विभाजन की ले जा रहा है, धीरे-धीरे ही सही लेकिन बदलता दिख रहा है जिसका परिणाम जल्द ही सामने आ जायेगा।
गौरतलब है कि जयललिता के राजनीतिक गुरु एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद भी पार्टी में विभाजन की परिस्थिति उत्पन हुई थी और तब जयललिता ने खुद नए धड़े का नेतृत्व किया था। उस समय जयललिता मुश्किल दौर से गुजर रही थीं तब शशिकला ने उन्हें सहारा दिया था। आज जयललिता की कभी भरोसेमंद रही शशिकला के नेतृत्व में भी पार्टी उसी मुहाने पर खड़ी है।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार चिन्नम्मा (शशिकला) अब अम्मा (जयललिता) बनकर कर जनता का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रही है लेकिन उनकी राह आसान नहीं है। इसकी एक झलक शनिवार को उस समय देखने को मिली जब वह निजी रिजॉट में रह रहे पार्टी विधायकों से मुलाकात के लिए पहुंची तो वे चिन्नम्मा के सामने नतमस्तक हो गए। ऐसा नज़ारा जयललिता के समय देखने को मिलता था।

हालाँकि यह मुश्किल है क्योंकि जयललिता ने शुरू से ही संकटों का सामना किया था और जयललिता को जनता ने ताक़तवर नेता बनाया लेकिन शशिकला के साथ जनता तो अभी नहीं है पार्टी के अहम् नेता भी पलायन करने लगे हैं। अब संकट बढ़ रहा है और इस बीच शशिकला खुद में जयललिता की छवि पेश करने की फ़िराक़ में है ताकि वह मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो जाए लेकिन राजनीतिक पंडितों के अनुसार अब उनकी राह आसान नहीं है।

दरअसल, शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है जो शीर्ष न्यायालय में है और उसके फैसले पर शशिकला की उम्मीदें निर्भर हैं। दूसरी ओर पार्टी के नेता पन्नीरसेल्वम खेमे का रुख कर रहे हैं जिससे मुख्यमंत्री बनने की राह में और अड़चनें उत्पन्न हो रही हैं। कभी जयललिता की ख़ास रही शशिकला को दो बार पार्टी से बाहर का रास्ता देखने की नौबत आई, लेकिन उसने फिर वापसी की।
शनिवार को विधायकों और सांसदों के पाला बदलने से शशिकला को बड़ा झटका लगा और उन्होंने राज्यपाल को ही धमकी ही दे डाली। अन्नाद्रुमुक के सांसद
वी मैत्रेयन ने आरोप लगाया कि शशिकला ने राज्यपाल को धमकी दी है जो एक संवैधानिक पद पर हैं, ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। यह धमकी उस समय सामने आई जब स्कूली शिक्षा मंत्री के पांडियाराजन, चार सांसद पी आर सुंदरम, के अशोक कुमार, वी सत्यभामा और वनरोजा पाला बदलकर पन्नीरसेल्वम खेमे में जा मिले।

एक लंबे ज़माने तक जयललिता के पीछे की अदृश्य ताक़त बनी रही शशिकला खुद को साबित करने के लिए कौन सा रास्ता अपनाती हैं यह तो अभी समय के गर्भ में है लेकिन थेवर समुदाय से सम्बन्ध रखने वाली शशिकला पार्टी को कैसे इन हालात से उबारती है, यह देखना शेष है। उधर, कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम अब तरकश से कौन सा तीर निकालते हैं, यह भी देखना बाकी है।