आसिफ़ जाहि और क़ुतुब शाही दौर-ए-हकूमत के कारनामों को निसाबी मवाद में शामिल करने का मश्वरा देते हुए समाजी जहदकार प्रोफ़ैसर घंटा चक्रपाणि ने कहा कि नई रियासत में बरसर-ए-इक़तेदार आने वाली पहली सियासी जमात तेलंगाना की नई नसल को क़ुतुब शाही और आसिफ़ जाहि दौर-ए-हकूमत की इस्लाहात से वाक़िफ़ करवाने के लिए मज़कूरा दौर के कारनामों को तालीमी निसाब में शामिल करे जिस के ज़रीये आंधराई क़ाइदीन के दौर-ए-हकूमत में तेलंगाना के अवाम के दरमयान पैदा किए गए तफ़रक़ात को ख़त्म किया जा सके।
आज यहां एक इंटरव्यू में प्रोफ़ैसर घंटा चक्रपाणि ने मज़ीद कहा कि नई रियासत तेलंगाना में बरसर-ए-इक़्तेदार आने वाली सियासी जमात पर ये ज़िम्मेदारीयां भी आइद होती हैं कि वो सामाजीका तेलंगाना रियासत की तशकील के वादों को पूरा करने के लिए पसमांदगी का शिकार तमाम तबक़ात को तरक़्क़ी के यकसाँ मौक़े फ़राहम करे ताकि इस्तेहसाल और नाइंसाफ़ीयों का शिकार तबक़ात के एहसास कमतरी को दूर किया जा सके।
उन्होंने कहा कि मुत्तहदा रियासत आंध्रप्रदेश के बाद मुनज़्ज़म अंदाज़ में मुसलमानों को तेलंगाना के सरकारी महिकमों से बेदखल करने का भी काम किया गया। प्रोफ़ैसर घंटा चक्रपाणि ने बुनियादी और आली तालीम से तेलंगाना की अवाम बिलख़ुसूस मुसलमानों को महरूम रखने का भी आंध्राई क़ाइदीन पर इल्ज़ाम आइद करते हुए कहा कि पूरे रंगा रेड्डी मैनाज तक भी एक डिग्री कॉलेज रियासती इंतेज़ामिया की जानिब से क़ायम नहीं किया गया और यही हाल मुस्लिम अक्सरीयती वाले इलाक़ों का है जहां पर सरकारी स्कूल की कमी मुस्लिम समाज को तालीम से दूर रखने की वजहा बना।
प्रोफ़ैसर घंटा चक्रपाणि ने नई रियासत में समाजी इंसाफ़ को यक़ीनी बनाने के लिए मुसलमानों के बिशमोल पसमांदगी का शिका र तमाम तबक़ात को बुनियादी तौर पर मैडीकल और एजूकेशन के मुफ़्त मौक़े फ़राहम करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने नई रियासत तेलंगाना में इंडस्ट्रीज़ के क़ियाम को भी लाज़िमी क़रार दिया जहां पर मुलाज़मत का तमाम तबक़ात को यकसाँ मौक़े की फ़राहमी पसमांदगी का शिकार तबक़ात की मईशत को इस्तेहकाम पहुंचाने के लिए मूसिर ज़रीया साबित होगा।
उन्होंने तेलंगाना में मुसलमानों को आबादी के तनासुब से तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने के लिए तमिलनाडू इंतेज़ामीया की कारकर्दगी का जायज़ा लेने का भी नई रियासत तेलंगाना में बरसर-ए-इक़्तेदार आने वाली पहली सियासी जमात को मश्वरा दिया और कहा कि दस्तूर में तरमीम के ज़रीये मुस्लमानों को आबादी के तनासुब से तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाएं ताकि मुस्तक़बिल में सुनहरी और सोशल तेलंगाना रियासत की तशकील को यक़ीनी बनाया जा सके।