तय है माहाना वसूली का टारगेट!

दारुल हुकूमत की ट्रैफिक निज़ाम नहीं सुधरने की कई वजहें हैं, लेकिन इसमें से सबसे अहम वजह है ट्रैफिक महकमा में बदउनवानी। चौक-चौराहों पर खुलेआम ट्रैफिक पुलिस मुलाज़िमीन को ऑटो और गाड़ी ड्राइवरों से पैसे वसूलते देखा जा सकता है। जानकार बताते हैं कि शहर के तकरीबन तमाम मशरुफ़ चौक-चौराहों पर माहाना उगाही का टारगेट तक तय हैं।

जानकारों की मानें तो रातू रोड वाकेय किशोरी यादव चौक से ट्रैफिक पुलिसवाले रोजाना पांच हजार की वसूली करते हैं। इस तरह फी माह इस चौक से तकरीबन डेढ़ लाख रुपये की वसूली होती है। यहां से रोजाना 50 से ज़्यादा सिटी राइड बसें मांडर, इटकी, बेड़ो, लोहरदगा के लिए खुलती हैं। हर बस से रोजाना 100 रुपये लिये जाते हैं। इस तरह कुल 5000 रुपये से ज़्यादा की वसूली होती है। उसी तरह तकरीबन एक हजार मुसाफिर और माल गाड़ी ऑटो गुजरते हैं। 25-30 रुपये हर ऑटो से लिये जाते हैं। ऐसे ही किसी चौक से माहाना 30 हजार, तो किसी चौक से 50 हजार रुपये की वसूली किये जाने के इल्ज़ाम लग रहे हैं।

कांटाटोली चौक पर ऑटो चालकों का राज

कांटाटोली चौक पर ऑटो ड्राइवरों का राज है। यहां ज़्यादातर वक़्त जाम की हालत बनी रहती है। ऑटो ड्राइवर पुलिस को हर माह एक मुश्त रकम देते हैं। कांटाटोली से बहू बाजार, डंगरा टोली, कोकर व नामकुम की तरफ जानेवाले रास्ते पर ऑटो ड्राइवरों का कब्जा होता है। नो इंट्री के दौरान माल गाड़ी इधर नहीं आते हैं, लेकिन ऑटोनुमा माल गाड़ी के चौक पर पहुंचते ही पुलिस वसूली के लिए दौड़ पड़ते हैं। यहां पर प्रेशर हॉर्न लगे गाड़ियों से भी वसूली की जाती है।

पहले जाने देते हैं, फिर होती है वसूली

स्टेशन रोड वाकेय पटेल चौक पर ट्रैफिक पुलिस तैनात होते हैं। वहां से ओवरब्रिज जाने वाले गाड़ियों को पुलिस नहीं रोकते हैं। हालांकि उस रोड पर गाड़ियों की नो इंट्री है। आगे जाकर नो इंट्री की बात कहते हुए गाड़ियों से जुर्माने की वसूली की जाती है। कई बार तो जुर्माना लेकर रसीद भी दी जाती है।

“दारुल हुकूमत में जाम की मसायल रोजमर्रा की बात हो गयी है। सड़क पर गाड़ी चलाने का मन तक नहीं करता। मजबूरी है, इसलिए घर से निकलना पड़ता है।”

नसीम आलम (रिहाईशी गाड़ीखाना)