ग़ौस आज़म अज़ीम ख़ुसूसीयात के हामिल थे, तमाम औलिया-ए-आप की अज़मत के क़ाइल थे, आप की पूरी ज़िंदगी इस्लाम की तालीमात आम करने के लिए वक़्फ़ थी। झूट-ओ-ग़ीबत से आप को सख़्त नफ़रत थी, नमाज़ छोड़ने वाले और वालदैन की नाफ़रमानी करने वालों के लिए सख़्त वईद फ़रमाई है।
इन ख़्यालात का इज़हार मीलाद कमेटी करीमनगर के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िदा इजतिमा से मौलाना काज़िम पाशा-ओ-मौलाना अबू उल-कलाम मिस्बा ही ने किया। मौलाना ने कहा कि मुख़्तलिफ़ दरगाहों में जाकर दा-ए-करने वालों के लिए ज़रूरी है कि पहले माँ बाप की दुआएं हासिल करें नमाज़ का तर्क करना बदतरीन फे़ल है।
मौलाना ने लोगों को मसाजिद आबाद करने की तलक़ीन की और इसराफ़-ओ-फुज़ूलखर्ची से और बुरी आदतों से सख़्ती से बचने की ताकीद की। मानीर गार्डन करीमनगर में मीलाद कमेटी का ये 21 वां जलसा था जिस की इब्तेदा-ए-मौलाना मुश्ताक़ निज़ामी की क़रा॔त और हाफ़िज़-ओ-क़ारी मुहम्मद अबदुल क़दीर कादरी की नाअत-ओ-मनक़बत से हुआ।
जनाब ज़ाहिद भाई सदर मीलाद कमेटी ने सदारत की, मौलाना अलीम उद्दीन ने कार्रवाई चलाई, जनाब ग़ुलाम रब्बानी कादरी ओ सैयद ग़ौस उद्दीन कादरी-ओ-जनाब रियाज़ ने शुरका इजलास का इस्तिक़बाल किया।