नई दिल्ली 21 जून: साबिक़ सदर जमहूरीया ए पी जे अबुल कलम ने आज कहा कि मुल्क में अवाम तरक़्क़ीयाती सियासत पर तवज्जा दे रहे हैं।
जो सयासी पार्टी तरक़्क़ीयाती इक़दामात करती है इसे 2014 में दुबारा इक़तेदार मिलेगा। मेरा ख़्याल हैके सियासत दो ख़ानों में बटी हैं एक सियासत वो है जिसे ख़ालिस सियासत कहा जाता है दूसरी सियासत तरक़्क़ीयाती सियासत है।
हमारे मुल्क में सयासी सियासत ने 70 फ़ीसद काम किया है और 30 फ़ीसद काम तरक़्क़ीयाती सियासत ने किया है। दरअसल इस तरह का रुजहान उलटा होना चाहीए।
मुल्क की चंद रियास्तों में ही तरक़्क़ीयाती सियासत की जा रही हैं और वो बार बार चुना जरही है लिहाज़ा आम चुनाव में हमें यही रुजहान दिखाई देता हैके अवाम सिर्फ़ इन सयासी पार्टीयों वोट देंगे जो तरक़्क़ीयाती सियासत पर अमल पैरां हैं , उन्ही पार्टीयों को दुबारा चुना जाएगा।
यहां मिल्ट्री कॉलेज आफ़ इलेक्ट्रॉनिकस और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की तरग्फ से मुनाक़िदा 92 डिग्री इंजीनीयरिंग कोर्स की तक़रीब में शिरकत करने के बाद सवालात का जवाब देते हुए डक्टर अबुलकलम ने इबतिदाई तालीम में इस्लाहात की ज़रूरत पर ज़ोर दिया ।
उन्होंने एसे क्लास रूम्स को क़ायम करने की वकालत की जिन में इख़तिराई तालीम दी जाती हो। हमारी तालीम को सिर्फ़ रोज़गार फ़राहम करनेवाली तालीम बनाना नहीं चाहीए बल्के रोज़गार पैदा करनेवाली तालीम बनाना चाहीए।
तालीमी इदारों को महारत रखने वाले तलबा पर अपनी तवज्जा मर्कूज़ करनी होगी ।हिन्दुस्तान को 2020 तक मआशी तौर पर तरक़्क़ी याफ़ता मुल्क बनाने के ख़ाब के बारे में अबुलकलम ने कहा कि अंदरून-ए-मुल्क हमारी मजमूई पैदावार 2008 में 9 फ़ीसद थी अब ये घट कर 4.5 फ़ीसद होगई है क्यूंकि अमरीका और योरोपी मुल्कों में मालीयाती बोहरान पैदा हुआ है।
उन्होंने साइबर हमलों पर क़ाबू पाने के लिए इक़दामात करने ज़ोर दिया। टेक्नोलॉजी पर मबनी जराइम संगीन सूरत-ए-हाल इख़तियार कररहे हैं।
डक्टर ए पी जे अबुलकलम ने सोश्यल मीडीया की एहमीयत को तस्लीम करने पार्लीमैंट पर ज़ोर देते हुए कहा कि सोश्यल मीडीया ही क़ौमी मसाइल पर तवज्जा मर्कूज़ करसकता है।
पार्लीमैंट को सोश्यल मीडीया की एहमीयत तस्लीम करनी होगी। वो यहां अरूण तीवारी की सवानिह हयात( जीवनी) की रस्म इजरा अंजाम दे रहे थे ।पार्लीमैंट में बार बार की हंगामा आराई और पारलीमानी कार्रवाई में ख़ललअंदाज़ी को रोकने के लिए सयासी तजुर्बा होना ज़रूरी है।