तलबा को तेलुगु ज़बान पर उबूर हासिल करने का मश्वरह

दुनिया का कोई मज़हब किसी भी ज़बान को सीखने से मना नहीं करता बल्कि जो इंसान जितनी ज़्यादा ज़बानें सीखता है वो इतना ही काबिल होगा। तेलुगु ना सिर्फ़ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश रियासत की सरकारी ज़बान है बल्कि ये स्कूली सतह पर एस एससी में ज़बान दोम की हैसियत से पढ़ने के लिए लाज़िमी ज़बान है और जब से एस एससी में उस को लाज़िमी कर दिया गया उसकी एहमीयत बढ़ गई।

इदारा सियासत ने उस को महसूस करते हुए साल 2006 से एस एससी तेलुगु ज़बान दोम कोइसचन बैंक शाय कररहा है। इन ख़्यालात का इज़हार यहां दफ़्तर सियासत के महबूब हुसैन जिगर हाल में एस एससी तेलुगु मुश्की सवालात की किताब की रस्म इजरा करते हुए माहिरीन ने किया। डॉ हफ़ीज़ अलरहमन प्रोफेसर जवाहर लाल यूनीवर्सिटी नई दिल्ली ने कहा कि इंटरनेट, सोश्यल मीडीया के ज़्यादा इस्तिमाल से बीनाई में कमी होरही है और ज़हन भी कमज़ोर होरहा है। वो इलम नाफ़े है जो क़लम और किताब से हासिल किया जाएगा।

क़ुरआन की पहली आयत जो पढ़ने से शुरू हुई इस में भी किताब और क़लम का ज़िक्र और हवाला है। नई नसल में किताबों के जोक़ का फ़ुक़दान है। ख़लीक़ उलरहमन ने अपनी तक़रीर में तेलुगु ज़बान की एहमीयत पर रोशनी डालते हुए इदारा सियासत की काविशों की सताइश की ज़ाहिद अली ख़ां, ज़हीरुद्दीन अली ख़ां और आमिर अली ख़ां की ज़ाती दिलचस्पी और काविशों से कई काम अंजाम पारहे हैं। एस एससी के तलबा के लिए ये किताब निहायत मुफ़ीद साबित होगी, इस से भरपूर इस्तेफ़ादा करें। आई नहरू बाबू डिप्टी एजूकेशनल ऑफीसर बहादुर पूरा ने अपनी तक़रीर में तलबा को वक़्त के सही इस्तेमाल के साथ 100 दिन इमतेहान के लिए बाक़ी हैं और इन 100 दिनों में सख़्त मेहनत से वो 100 निशानात हासिल करसकते हैं।

अपलया डिप्टी एजूकेशनल ऑफीसर बन्डुला गौड़ा ने कहा कि आज इमतेहान का तरीका-ए-कार बदल गया। इंटरनल के 20 निशानात और बोर्ड इमतेहान के 80 निशानात हैं और कामयाबी के लिए उन को मिलाकर 35 निशानात देखे जाते हैं। याद करने के बजाये प्रोजेक्ट वर्क शामिल निसाब होचुका है।

अहमद बशीरुद्दीन फ़ारूक़ी रिटायर्ड डिप्टी एजूकेशन ऑफीसर ने अपनी तक़रीर में किताब की तैयारी में जिन असातिज़ा ने तआवुन क्या, उन से इज़हार-ए-तशक्कुर करते हुए कहा कि ये सिलसिला पिछ्ले 15 बरसों से जारी है। और इदारा सियासत मुफ़्त तक़सीम करता है।

शाकिर अहमद सेक्रेटरी बोस्टन मिशन स्कूल ने किताब की तैयारी में मुआवनत की। ना सिर्फ़ हैदराबाद बल्कि अज़ला के स्कूली तलबा भी ये कुतुब हासिल करते हैं। इस मौके पर सरहाल रेड्डी ने जो घास के रस का तजुर्बा किए, तलबा को इमतेहान के ख़ौफ़ दूर करने और कामयाबी के गुर बताए।