नई दिल्ली। मरकज़ी हुकूमत ने Marriage Law में बदलाव की तैयारी कर ली है। मजूज़ा कानून के तहत तलाक के हालत में शौहर की ग़ैरमनकूला जायदाद में से खातून-बच्चों को भी हिस्सा मिलेगा।
इसकी रकम पर फैसला अदालत करेगी। वज़ारत ए कानून ने Marriage Law (तरमीन ) बिल पर कैबिनेट नोट तैयार किया है। इस पर वज़ारतों से राय मांगी गई है, फीडबैक मिलने के बाद नए वज़ीर कानून डीवी सदानंद गौडा इस मसौदे को आखिरी मंजूरी के लिए कैबिनेट में ले जाएंगे।
ड्राफ्ट बिल के मुताबिक, तलाक के ज़ेर ए गौर मामलों में तेजी लाने के लिए अदालतों के इख्तेयारात भी बढाए गए हैं। इसके मुताबिक, तलाक के लिए अदालत पहुंचे शौहर या बीवी को ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल के अंदर एक और ज्वाइंट एप्लीकेशन देनी होगी।
इस पर दोनों फरीकों की रज़ामंदी (तलाक के लिए) होनी चाहिए। ऐसा होने पर कोर्ट खुद फैसला सुना सकती है। लेकिन अगर ज्वाइंट एप्लीकेशन दायर कर दी जाती है तो शौहर और बीवी के लिए छह से 18 महीने का वेटिंग पीरियड कायम रहेगा।