तलाक़‍-ओ‍-खुला के वाक़ियात में इज़ाफ़ा, अख़लाक़ी गिरावट का नतीजा

ज़ाहिद अली ख़ान एडीटर रोज़नामा सियासत ने कहा कि मुस्लिम मुआशरे में शादी एक संगीन मसला बन गया है, इस के बरअक्स तलाक़ देना आसान होगया है।

ये सूरत-ए-हाल मुसलमानों के लिए शर्मनाक और इबरतअंगेज़ है। उन्होंने कहा कि शहरे हैदराबाद में तलाक़-ओ-खुला के बेशुमार वाक़ियात, मुसलमानों में पैदा अख़लाक़ी गिरावट और ज़हनी पस्ती की अलामत हैं। मुतवस्सित तबक़ा से ज़्यादा आला तबकों में भी तलाक़ के वाक़ियात मामूल बनते जा रहे हैं।

मियां बीवी का ये मुक़द्दस रिश्ता है, लेकिन हम इस रिश्ते को अपनी घटिया सोच, नाम-ओ-नमूद के ज़रीये इस के तक़द्दुस को पामाल कररहे हैं। ज़ाहिद अली ख़ान एसए इम्पिरियल गार्डन, टोलीचौकी रोड में इदारा सियासत-ओ-माइनॉरिटीज़ डेवलपमेंट फ़ोरम के ज़ेर-ए‍एहतेमाम अक़्दे सानी के लिए मुनाक़िदा 36 वीं दु बा दु मुलाक़ात प्रोग्राम में शरीक एक बड़े इजतिमा को मुख़ातब कररहे थे, जिस में तक़रीबन 3000 से ज़ाइद वालिदैन-ओ-सरपरस्तों ने शिरकत की।

ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि दु बा दु मुलाक़ात प्रोग्राम के ज़रीये हज़ारों की तादाद में लड़कों-ओ-लड़कीयों के रिश्ते तै पा चुके हैं और इस बात की कोशिश की जा रही हैके शहर के अलावा अज़ला में भी इस संगीन मसले को हल करने के लिए बेहतर अमली इक़दामात किए जाएं।

उन्होंने निहायत जज़बाती अंदाज़ में कहा कि इस प्रोग्राम उनके दिल की धड़कन है और वो चाहते हैं कि आसानी के साथ जल्द अज़ जल्द रिश्ते तै हूँ, उन की आरज़ू है के लड़के-ओ-लड़कीयों के वालिदैन किसी ज़हनी तहफ़्फ़ुज़ और बेबुनियाद शराइत के बगै़र अपने बच्चों के रिश्ते तै करें।

उन्होंने इस बात पर इज़हार तास्सुफ़ किया कि बीवी के खुला लेने पर तलाक़ देने में शौहर की तरफ से ग़ैर मुंसिफ़ाना तर्ज़ अमल इख़तियार किया जा रहा है। एसे कई वाक़ियात हैं के औरत को तलाक़ दिए बगै़र उसे जकड़कर रखा जा रहा है, ता कि वो दूसरी शादी करने से महरूम रहे और इस तरह अपनी ज़िंदगी को बर्बादी के दहाने पर छोड़ दे।

इस तर्ज़ अमल को तर्क करने की ज़रूरत है। ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि माँ बाप की ग़लत सोच के बाइस लड़कों-ओ-लड़कीयों की शादीयों में ताख़ीर हो रही है और अच्छी लड़की की तलाश में लड़कों की उमरें तजावुज़ करती जा रही हैं, जब कि दूसरी तरफ़ हिर्स-ओ-लालच के बाइस वालिदैन अपनी लड़कीयों की शादीयों में टाल मटोल का रास्ता इख़तियार कर रहे हैं।

इस सूरत-ए-हाल के लिए वालिदैन सरासर ज़िम्मेदार हैं, जब तक उन के अंदाज़ फ़िक्र में तबदीली नहीं आएगी, उस वक़्त तक मुआशरे में ये बुराईयां बरक़रार रहेंगी। ज़ाहिद अली ख़ां ने कहा कि वालिदैन को चाहीए कि अक़्दे सानी के रिश्तों को आसानी के साथ तै करें और रिश्ते तै हो जाएं तो अपने बच्चों का निकाह मस्जिद में करने को तर्जीह दें।

क्युंकि जो शादियां आसानी से अंजाम पाती हैं, उन पर अल्लाह ताआला की बरकतें-ओ-रहमतें नाज़िल होती हैं। उन्होंने कहा कि लड़कीयों की सीरत-ओ-किरदार और तालीम को इंतिख़ाब का मयार बनाईं, जो कामयाब अज़दवाजी ज़िंदगी की ज़मानत होगी। उन्होंने कहा कि अज़दवाजी ज़िंदगी का सफ़र एक दूसरे का ख़्याल, बाहमी ख़ुशी और ईसार-ओ-क़ुर्बानी के ज़रीये ख़ुशगवार तरीक़े पर तै किया जाता है और इस के अच्छे असरात औलाद पर भी मुरत्तिब होते हैं।

उन्होंने कहा कि इदारा सियासत की ख़िदमात हमेशा मुसलमानों के लिए रही हैं। आज ना सिर्फ़ रियासत बल्कि बैरूनी मुमालिक में भी ख़ाहिश की जा रही है के वहां उस नौईयत के प्रोग्राम्स मुनाक़िद किए जाएं, ताकि इस मसले से दो चार मुस्लिम मुआशरे को राहत-ओ-सुकून की ज़िंदगी गुज़ारने का मौक़ा मिले।

उन्होंने इस बात पर ख़ुशनुदी का इज़हार किया कि लड़कों के मुक़ाबले में मुस्लिम लड़कीयां ज़्यादा तालीम-ए-याफ़ता हैं और आला ओहदों पर फ़ाइज़ हैं, लेकिन इस के साथ साथ उन्हें इस बात का भी ख़्याल रखना चाहीए कि वो एक अच्छी बीवी बनने के लिए अपने अंदर आला औसाफ़ पैदा करें।

उन्होंने इस मौके पर मुहम्मद मुईनुद्दीन सदर फेडरेशन आफ़ टोलीचौकी कॉलोनीज़ की ख़िदमात की सताइश की कि अक़्दे सानी रिश्तों का ये प्रोग्राम दरअसल उन की तजवीज़ पर मुनाक़िद किया गया।

मुहम्मद मुईनुद्दीन ने कहा कि मुस्लिम मुआशरे में सैकड़ों की तादाद में रिश्ते टूट रहे हैं, जिस के लिए मियां बीवी दोनों ही ज़िम्मेदार हैं। हर इंसान में खूबियां-ओ-ख़राबियां होती हैं, लेकिन अगर लड़का या लड़की सिर्फ़ ख़ामीयों पर नज़र रखते हुए रिश्ता तोड़लीं तो इस के नताइज संगीन होंगे।