तलाक़ की अर्जी लंबित है और दोनों पक्षों में सहमति हो तो दुसरी शादी मान्य- सुप्रीम कोर्ट

हिंदू मैरिज एक्ट के तहत भले तलाक के खिलाफ दाखिल अपील की पेंडेंसी के दौरान महिला या पुरुष में से किसी के भी दूसरी शादी पर रोक है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए फैसले में कहा है कि अगर तलाक की अर्जी लंबित है और दोनों पक्षों में केस को लेकर सहमति है तो दूसरी शादी मान्य होगी।

हिंदू मेरिज एक्ट के सेक्शन 15 की व्याख्या करते हुए जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बैंच ने कहा, तलाक के खिलाफ अपील की पेंडेंसी के दौरान दूसरी शादी पर रोक का प्रावधान तब लागू नहीं होता, जब पक्षकारों ने समझौते के आधार पर केस आगे न चलाने का फैसला कर लिया हो।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, सेक्शन 15 कहता है जब एक शादी डिवोर्स की प्रक्रिया से खत्म हो रही हो और इस प्रक्रिया के खिलाफ कोई अपील न हो। मौजूदा मामले में तलाक की डिक्री के खिलाफ अपील पेंडेंसी के दौरान पति ने पहली पत्नी से समझौता कर लिया और केस वापस लेने की अर्जी लगाई।

इसी दौरान दूसरी शादी कर ली। हाईकोर्ट ने शादी को अमान्य कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पति की अर्जी स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया. इस मामले में पत्नी ने तलाक की अर्जी दाखिल की थी. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 31 अगस्त 2009 को पत्नी के पक्ष में फैसला देते हुए में तलाक की डिक्री मंजूर की।

पति ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। लेकिन मामला आगे बढ़ता उससे पहले दोनों के बीच समझौता हो गया। 15 अक्टूबर, 2011 को पति अपील वापस लेने की अर्जी दाखिल कर दी। लेकिन जब ये केस पेंडिंग था, उस समय ही पति ने दिसंबर 2011 में दूसरी शादी कर ली।

इस शादी के बाद दूसरी महिला ने शादी को कोर्ट में चुनौती दे दी। उसने अपील में कहा, तलाक की अपील पेंडिंग के दौरान शादी हुई है, इसलिए इसे शून्य करार दिया जाए।

निचली कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे मान लिया और शादी को शून्य घोषित कर दिया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां पर हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया गया।