मुंबई: हाल में केंद्र सरकार के माध्यम से तलाक सलासा पर लाए जानेवाले कानून की मुसलमानों के सभी वर्ग विरोध कर रहे हैं और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने तो उसे ज़ालिमाना कानून तक क़रार दे दिया है ,उसी सिलसिले में मुस्लिमस फॉर डेमोक्रेसी ने भी उसे महिला विरोधी कानून बताते हुए कहा है कि इस की वजह से उन्हें फ़ायदा पहुंचने के बजाय नुक़्सान पहुंच जाएगा।
इंडियन मुस्लिमस फॉर डेमोक्रेसी (आईएमएसडी ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री कानून रविशंकर प्रसाद को एक पत्र भेजा और यह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,राष्ट्रीय आयोग महिला और राष्ट्रीय आयोग अल्पसंख्यक और महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों और संबंधित संगठनों कोरवाना किया,ताकि इस में संपादित की जा सके ,उस का ऐलान संगठन के अध्यक्ष जावेद आनंद ने किया है।
उन्होंने कहा कि सरकारी के प्रस्तावित कानून के तहत महिलाओं को फ़ायदे के बजाय नुक़्सान पहुँचेगा क्योंकि ये महिला विरोधी है ,क्योंकि तीन तलाक़ देने वाला तो सज़ा के तौर पर तीन साल के लिए जेल की हवा खाएगा और वो प्रभावित महिला असहाय हो जाएगी जबकि क़सूरवार को जेल में आसानी से गुज़र बसर मिलता रहेगा, तलाकशुदा महिला और इस के बच्चों की गुज़र बसर कैसे होगा।
जावेद आनंद ने सवाल किया कि इस पिडित महिला को भाजपा, वीएचपी और बजरंग दल के कार्यकर्ता करेंगे ,इइसलिए संगठन की मांग है कि घरेलू हिंसा (घरेलू वाईलनस) कानून 2005 के तहत तलाक सलासा के मामले को लाया जाये। जिससे तलाकशुदा और इस के बच्चों को सुरक्षा भी मिलेगा । और इस आदेश का उल्लंघन के कारण उसे एक साल की सजा और बीस हजार रुपये जुर्माना भी लगाया जाएगा और दूसरी सूरत में दो सज़ाएं साथ साथ दी जाएँगी।