तारा शाहदेव बनाम रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल मामले की जांच पुलिस ने शुरू तो बहुत तेजी के साथ की थी, पर उसी रफ्तार से इसकी रफ़्तार भी धीमी पड़ गई है। इतवार को इसपर तारा शाहदेव ने कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि तीन जजों से पूछताछ के बाद उस रिटायर जज से अबतक पूछताछ क्यों नहीं की गई जिनके नाम की चर्चा तीनों जज ने की है। वहीं उन्होंने कहा है कि मुश्ताक अहमद से भी पूछताछ नहीं की गई। पटना हाईकोर्ट से इजाजत मिलने के आठ दिन बाद भी शेरघाटी के जज से पूछताछ नहीं की गई। रंजीत उर्फ रकीबुल के फ्लैट से जब्त सिमकार्ड का खुलासा पुलिस क्यों नहीं कर रही है। तारा ने जांच में सफाफियत नहीं बरतने का भी इलज़ाम लगाया है। तारा का कहना है कि पुलिस शुरू से ही दबाव में काम कर रही है। इस वजह से पुलिस ने अब तहक़ीक़ात धीमी कर दी है, ताकि जल्द सीबीआई केस को टेकअप कर ले।
पूछताछ में क्या कहा था जज ने
हजारीबाग के जिला जज नागेश्वर प्रसाद, देवघर की एडीजे वीणा मिश्र और देवघर के जिला जज पंकज श्रीवास्तव ने पुलिस के सामने यह क़ुबूल किया था कि रंजीत उर्फ रकीबुल से उनका तार्रुफ़ चतरा के मौजूदा जज और रिटायर जज आईडी मिश्रा ने कराया था। इस बुनियाद पर पुलिस ने रिटायर जज आईडी मिश्रा से पूछताछ करने का फैसला लिया था। हालांकि अबतक उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस नहीं भेजा गया है।
रंजीत उर्फ रकीबुल ने खुद बताए जजों के नाम
रंजीत उर्फ रकीबुल ने भी अपने क़ुबूल नामे में कई जज से राब्ते की बात कही थी। उसने कहा है कि हाईकोर्ट के सस्पेंड विजिलेंस रजिस्ट्रार मुश्ताक अहमद से अच्छे ताल्लुक़ रहने की वजह से वो अदालत से मुताल्लिक़ काम में आसानी से पैरवी कर लेता था। हजारीबाग के जिला जज नागेश्वर प्रसाद,, देवघर एडीजे वीणा मिश्रा, साबिक़ एडीजे रिटायर आईडी मिश्रा उसके अहम और साथी रहे हैं। साबिक़ जज मजिस्ट्रेट रांची बिनोद चंद्र पांडेय, साबिक़ जिला जज प्रवीर, साबिक़ गुमला जिला जज प्रसन्न कुमार दूबे, झालसा के साबिक़ सेक्रेटरी बीके गोस्वामी ( अब जिला जज) और बार काउंसिल के साबिक़ चेयरमैन पीसी त्रिपाठी से उसकी अच्छी जान-पहचान है।
तलाक के बिना भी अलग रह सकती है तारा
झूठ बोलकर शादी करने के तारा शाहदेव मामले में अब एक नया मोड़ आया है। रकीबुल हसन उर्फ रंजीत सिंह कोहली और तारा शाहदेव की शादी कानून की नजर में क़ानूनी नहीं है। इस सिलसिले में पूछे जाने पर वकील अभय मिश्रा ने कहा कि इन दोनों की शादी या तो हिंदू मैरेज एक्ट या फिर मुस्लिम मैरेज एक्ट के तहत ही हो सकती है, जबकि तारा शाहदेव ने मजिस्ट्रेट के सामने जो बातें बताई हैं उसके मुताबिक़ इन दाेनों कानूनों का पालन इनकी शादी में नहीं हुआ है। इसलिए जब शादी ही क़ानूनी नहीं हो तो तारा तलाक के बिना भी अलग रह सकती है। तारा के बयान के मुताबिक़ यह शादी रकीबुल ने झूठ बोलकर आग के सामने सात फेरे भी नहीं लिए। इसलिए ये दोनों बुनियाद ही शादी को गैर क़ानूनी करने के लिए काफी हैं।