तस्वीरों में फिलिस्तीन का भूमि दिवस : छीनी गई जमीनों को वापस पाने की मुहिम जिसकी वजह से गजा के 70% लोग रिफ्यूजी हैं

गाजा : कोई हमारे पुर्खों की ज़मीन छीन ले तो आखिर हम क्या करें? ज़ाहिर है हिंसा या प्रोटेस्ट और दोनों ज़ायज़ है, जब पूरी दुनिया इसे अनदेखी करे। और यही फिलिस्तीनी कर रहे हैं। 1948 में इज़राइल ने इनकी जमीनों को इनसे छीन लिया था और इन्हें अपने ही जमीन से दर बदर होना पड़ा। एक अनुमान के मुताबिक गाज़ा में रहने वाले 70 प्रतिशत फिलिस्तीनी रिफ्यूजी कैम्पों में रहने को मजबूर हैं, और अपनी ज़मीन की वापसी के लिए फ़इलिस्तीनी एक बड़ा प्रदर्शन कर रहे हैं,जिसे लैंड डे या भूमि दिवस के रूप में जाना जाता है, जिसमें फिलिस्तीनी नेता और अधिकारी व हमास के नेता भी शुक्रवार को शामिल हुए और जुमे की नमाज अदा की।

इस प्रदर्शन में 17 फिलिस्तीनी अभी तक मारे गए हैं 1400 से अधिक घाटल हुए हैं, और प्रदर्शन अभी जारी रहेगा।

प्रोटेस्ट के दौरान निहत्थे फिलिस्तीनियों पर आंसू गैस और स्टील बुलेट दागे गए जिसमें 1400 से अधिक घायल हो गए। बाढ़ में तैनात इजराइली स्नाइपर दूर से ही प्रदर्शन कर रहे फिलिस्तीनियों को टारगेट कर पीछे से गोली मारी गई और अभी तक 17 के मरने की खबर है।

फिलिस्तीनी राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति के साथ, गाजा शहर के पूर्वी मल्का इलाके में जुमे की नमाज़ अदा हुई जिसमें हमास और अन्य फिलिस्तीनी अधिकारी व नेता शामिल थे

एक फिलिस्तीनी परिवार गाजा शहर के पूर्व में अपने तम्बू के सामने बैठे हैं और प्रदर्शन में शामिल भी हैं जो मई तक चलेगा। उन्हें उम्मीद है कि उनकी छीनी हुई जमीन उन्हें वापस जरूर मिलेगा इसी उम्मीद के साथ प्रदर्शन में शामिल हैं।

गाजा पट्टी की आबादी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा रिफ्यूजी कैम्प में रहने को मजबूर हैं, चूंकि 1948 में इजराइल ने इनकी जमीनों को छीन कर कब्जा कर लिया था।