तहरीक तशक्कुर पर मुबाहिस ( Discussion)

रियासत आंधरा प्रदेश की सयासी तहज़ीब के फ़रज़न्दों को असेंबली के बजट सेशन में एक दूसरे के गिरेबान में झांक कर बाहमी इल्ज़ामात का मुज़ाहरा करते हुए देखा जा रहा है। शराब माफ़िया को बढ़ावा देने वाले किरण कुमार रेड्डी ज़ेर क़ियादत कांग्रेस हुकूमत अपने मौक़िफ़ पर अटल दिखाई दे रही है जबकि अपोज़ीशन ने रियासत में पानी से ज़बादा शराब को बहाते हुए पाई गई लूट खसोट पर ऐवान असेंबली की तवज्जा मबज़ूल कराने की कोशिश की।

अपोज़ीशन की हज़ारों दलीलें और फाईलों में बंद हक़ायक़ को इफ्शा करने की मुतालिबात के बावजूद किरण कुमार रेड्डी हुकूमत को शराब माफ़िया पर ही इकतिफ़ा करना है। ऐवान असेंबली में अच्छी बात और अवामी मसाइल को पेश करने वाले अपोज़ीशन क़ाइदीन को सुनने की कोशिश नहीं की जा रही है।

करप्शन के सूरमाओं की इजतिमाई बहस से निकलने वाले शोर-ओ-गुल के अंदर ही अवामी मसाइल दब कर रह जा रहे हैं। कांग्रेस हुकूमत को जिसे आइन्दा माह ज़िमनी इंतेख़ाबात के लिए अवाम के सामने जाना है उनके मसाइल पर ऐवान असेंबली में अदमे तवज्जो देने का सबूत दे तो इसकी कामयाबी के इम्कानात पर असर पड़े तेलगुदेशम के सरबराह चंद्रा बाबू नायडू ने हुकूमत की ख़राबियों की निशानदेही की है तो ये किरण कुमार रेड्डी हुकूमत के लिए मौक़ा ग़नीमत है जिस पर तवज्जा दे कर वो मसाइल की यकसूई के लिए अपोज़ीशन से तआवुन तलब कर सकती है।

हुकूमत अगर अपने इख़्तेयारात और ताक़त के ज़रीया पैदा होने वाले सयासी जज़बात के हंगामा मह्शर पर यक़ीन कर ले तो फिर उसे ज़िमनी इंतेख़ाबात के नताइज का अभी से अंदाज़ा कर लेना चाहीए। गवर्नर के ख़ुतबा पर तहरीक तशक्कुर के लिए जारी मुबाहिस का माहौल हुकूमत और अपोज़ीशन के दरमयान तकरार का मंज़र पेश कर रहा है।

चीफ़ मिनिस्टर ने कई तल्ख़ और सख़्त हक़ायक़ के बावजूद अपनी हुकूमत की कारकर्दगी की तशहीर करते हुए रियासत की मईशत को ख़ुशनुमा बनाकर पेश किया। इनका इद्दिआ है कि वो नौजवानों के लिए 15 लाख मुलाज़मतों की फ़राहमी के बिशमोल अवाम से किए गए दावों को पूरा करेंगे।

इनकी हुकूमत मुवाफ़िक़ ग़रीब अवाम, मुवाफ़िक़ किसान और मुवाफ़िक़ नौजवान है। ऐवान में चीफ़ मिनिस्टर की इस ख़ुदनुमाई का अपोज़ीशन ने कोई नोट नहीं लिया। क्योंकि बगै़र किसी वीज़न और अमली इक़दामात के सिर्फ ब्यानात से अवाम के नुमाइंदों को बेवक़ूफ़ नहीं बनाया जा सकता ।

रियासत में मआशी सूरत-ए-हाल और किसानों के मसाइल किसी से ढके छिपे नहीं हैं। शराब माफ़िया के मसला ने हुकूमत की ख़राबियों को बुरी तरह आशकार कर दिया है। ये हुकूमत रियासत में नौजवानों को रोज़गार दिलाने के नाम पर ख़ानगी कंपनीयों के पास उनकी क़िस्मत के साथ खिलवाड़ कर रही है।

सरकारी मुलाज़मतें पैदा करने या मख़लवा जायदादों पर तक़र्रुत के इक़दामात करने के बजाय चीफ़ मिनिस्टर नौजवानों को उनके ख़ुशनुमा मुस्तक़बिल की धुँधली तस्वीर दिखा रहे हैं। हक़ीक़त तो ये है कि आज रियासत में टेक्नोलोजी का जो कुछ वजूद है वो चंद्रा बाबू नायडू ज़ेर क़ियादत तेलगुदेशम की 9 साला हुक्मरानी का नतीजा है।

चंद्रा बाबू नायडू ने अपने दौर में रियासत को इन्फ़ार्मेशन टेक्नोलोजी में सबसे आगे रखा था। तेलगूदेशम हुकूमत के आई ए एस ओहदेदारों को उनकी बेहतरीन कारकर्दगी के लिए क़ौमी सतह पर अहम ओहदे मिले। टी आर प्रसाद और डी सुब्बा राव , आई ए एस ऑफीसर्स को का बीनी सेक्रेटरी और आर बी आई का गवर्नर बनाया गया।

जबकि कांग्रेस हुकूमत में आई ए एस ऑफीसर्स को जेल की सज़ा काटनी पड़ रही है। ये बदउनवानीयों की मस्ख़शुदा तस्वीर है। हाईटेक सिटी जैसे इंफ्रास्ट्रकचर के ज़रीया तेलगुदेशम हुकूमत ने रियासत को मुल्क की दीगर रियास्तों में नुमायां किया है। कांग्रेस हुकूमत इस इंफ्रास्ट्रकचर को मज़ीद तरक़्क़ी देने से क़ासिर रही।

अपोज़ीशन ने सूटकेस कल्चर का जो इल्ज़ाम आइद किया है वो कांग्रेस हुकूमत को हज़म नहीं हो रहा है। हक़ीक़त तो ये है कि ख़ुद किरण कुमार रेड्डी हुकूमत के वज़ीर ने उन पर इल्ज़ाम आइद किया कि वो दिल्ली में हाईकमान को रक़म से भरे सूटकेस हवाले किए हैं। कांग्रेस का कल्चर ही यही है कि यहां सूटकेस की पालिसी पर अमल पैरा चीफ़ मिनिस्टर को इस्तेहकाम दिया जाता है।

शराब माफ़िया के ज़रीया ही सूटकेस कल्चर को ज़िंदा रखने की कोशिश करते हुए कांग्रेस अवाम के बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में नाकाम हो गई। तेलंगाना के मसला पर टी आर एस की आवाज़ को दबाने से तेलंगाना के अवाम की आवाज़ कमज़ोर नहीं होगी। ये मसला हुक्मराँ पार्टी के लिए उस वक़्त तक बरक़रार रहेगा ताकी वो इलाक़ा तेलंगाना के हक़ में मुवाफ़िक़ अवामी जज़बात क़दम उठाए।

गवर्नर के तहरीक तशक्कुर पर जारी मुबाहिस में अगर रियासत को दरपेश मसाइल पर बहस ना की जाये तो ये हुकूमत की जांबदारी कहलाएगी। रियासत को शराब माफ़िया से बचाने के लिए अपोज़ीशन ज़ोर दे रही इस के इलावा इन मुबाहिस का अहम मौज़ू अक़ल्लीयतों ख़ासकर मुस्लमानों की तरक़्क़ी-ओ-बहबूद का भी है।

क्यों कि गवर्नर के ख़ुतबा में अक़ल्लीयतों की बहबूद के बारे में सिर्फ चंद अल्फ़ाज़ के इस्तेमाल के ज़रीया बात ख़तम कर दी गई। ये हक़ीक़त अपनी जगह मौजूद है कि कांग्रेस हुकूमत में रियासत ख़ासकर हैदराबाद के मुस्लमानों और मुस्लिम नौजवानों को मायूस कर दिया गया।

मुस्लिम नौजवानों की रूड़ी शीट्स खोल कर उन पर ज़ुल्म-ओ-ज़्यादती की जा रही है जिसका नोट लेने के लिए चीफ़ मिनिस्टर ने अपनी दिलचस्पी का थोड़ा सा भी इशारा नहीं दिया। चीफ़ मिनिस्टर ने 4 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात के ज़रीया अक़ल्लीयतों को दी गई ख़ैरात की ख़ूब तशहीर की है लेकिन करोड़ों रुपये की ओक़ाफ़ी जायदादों को हड़प कर अक़ल्लीयतों की जायदादों पर हाथ साफ़ करके उन्हें कंगाल बनाने की सच्चाई को बग़ल में दबा कर रखा है।

इसलिए अक़ल्लीयतों के ज़हनों में इस तास्सुर ने जन्म लिया है कि हुक्मराँ पार्टी मौक़ा पुरसताना तौर पर हालात से साज़बाज़ करती है।