तहफ़्फुज़ात का इस्तेहसाल रोका जाए

जब कभी भी मुल्क में या मुल़्क की चंद रियासतों में इंतेख़ाबात का अमल होता है कोई ना कोई हस्सास और अहमियत का मसला छेड़ दिया जाता है और अब पर बहस-ओ-मुबाहिस का सिलसिला चलता रहता है । जैसे ही इंतेख़ाबी अमल मुकम्मल होता है किसी न किसी गोशे की जानिब से इस पर ख़ामोशी इख्तेयार करने का सिलसिला शुरू हो जाता है और फिर ये मसला बतदरीज पस-ए-मंज़र में चला जाता है ।

अब भी मुल़्क की पाँच रियासतों में असेबली इंतेख़ाबात चल रहे हैं। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में इंतेख़ाबी अमल पूरी शिद्दत के साथ जारी है जहां हर सयासी जमात राय दहिंदों को राग़िब करने और उनके वोट हासिल करने के लिए एक दूसरे पर सबक़त ले जाने कोशां है ।

हर जमात चाहती है कि उसे ही सबसे ज़्यादा वोट हासिल हो और वो इक़्तिदार हासिल कर सके । इस बार इंतेख़ाबी अमल के आग़ाज़ से क़ब्ल ही से मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी का मसला छेड़ दिया गया और अब सारे इंतेख़ाबी अमल के दौरान यही एक मसला मौज़ू बहस बना हुआ है ।

तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जा सकेंगे या नहीं हुकूमत इसमें संजीदा है या नहीं और बिलआख़िर मुस्लमानों को इसका फ़ायदा हासिल होगा या नहीं ये तो अभी से कहा नहीं जा सकता लेकिन एक बात क़तईयत से कही जा सकती है कि तहफ़्फुज़ात के वायदा और इसके दोहराते जाने से सयासी जमाअतें ज़रूर इसमें अपना फ़ायदा तलाश कर रही हैं और उनका मत्मा नज़र भी यही सयासी फ़ायदा है ।

अवाम मुस्लमानों या दीगर अक़ल्लीयतों को फ़ायदा पहूँचाना किसी का असल मक़सद नहीं है । जहां कांग्रेस पार्टी मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के वायदा करते हुए और उनमें इज़ाफ़ा का ऐलान करते हुए इससे सयासी फ़ायदा हासिल करने की हिक्मत-ए-अमली पर अमल पैरा है वहीं भारतीय जनता पार्टी उसकी मुख़ालिफ़त करते हुए अपने लिए हिन्दू वोट बैंक मुस्तहकम करना चाहती है और इस कोशिश में उसे वि एच पी आर एस एस-ओ-दीगर हम कबील तनज़ीमों की मदद हासिल है ।

तहफ़्फुज़ात के वायदा पर जो सयासी जंग शुरू हो गई है इसने इंतेख़ाबात में दीगर अहम उमूर और मसाइल को पसेपुश्त डाल दिया है और अवामी मसाइल पर किसी जमात का कोई वाज़िह और जामि एजंडा यह मौक़िफ़ नज़र नहीं आता ।

इंतेख़ाबात में फ़ायदा हासिल करने के लिए हर जमात कोई ना कोई हिक्मत-ए-अमली इख्तेयार करती है और इस बार तहफ़्फुज़ात का नारा एक से ज़ाइद जमातों के लिए इंतेख़ाबी हथियार बन गया है । कांग्रेस पार्टी खासतौर पर इसमें सरगर्म है की उनका उसी की ज़ेर क़ियादत मर्कज़ी हुकूमत ने इंतेख़ाबी आलामीया की इजराई से एक दिन क़ब्ल ही मुस्लमानों केलिए 4.5 फीसद ज़ेली कोटा तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने का ऐलान किया था ।

अभी इस ऐलान पर सयासी हलक़ों में हलचल चल ही रही थी कि मर्कज़ी वज़ीर सलमान ख़ूर्शीद ने फर्रुखाबाद में अपनी शरीक ए हयात के हल्क़ा‍ ए‍ इंतेख़ाब में ऐलान कर दिया कि मुस्लमानों-ओ-दीगर अक़ल्लीयतों को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बरसरा कत्दार आई तो 9 फीसद तक तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाएंगे ।

मिस्टर ख़ूर्शीद के इस ऐलान पर इलेक्शन कमीशन ने नाराज़गी का इज़हार किया । कमीशन की नाराज़गी को ख़ातिर में ना लाते हुए मिस्टर ख़ूर्शीद ने जारिहाना तीव्र इख़तियार किए और फिर कमीशन ने दुबारा हरकत में आते हुए सदर जमहूरीया को एक मकतूब रवाना करके उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की इस्तिदा की ।

सदर जमहूरीया ने मुनासिब कार्रवाई के लिए मकतूब दफ़्तर वज़ीर आज़म को रवाना कर दिया । अभी ये मुआमला ठंडा हुआ भी नहीं था कि वज़ीर फ़ौलाद मिस्टर बेनी प्रसाद वर्मा ने इसी फर्रुखाबाद हलक़ा में फिर ऐलान किया कि मुस्लमानों को ना सिर्फ तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाएंगे बल्कि इनमें इज़ाफ़ा भी किया जाएगा ।

अब इलेक्शन कमीशन मिस्टर वर्मा के ख़िलाफ़ सरगर्म हो गया है और उन्हें भी नोटिस जारी कर दी गई है । उनसे पीर( सोमवार) की शाम तक जवाब देने को कहा गया है । मिस्टर वर्मा का इद्दिआ है कि वो क्या कहते हैं उन्हें याद नहीं है हालाँकि वो कमीशन का एहतिराम करते हैं। मिस्टर वर्मा का ये इद्दिआ बचकाना है की उनका एक ज़िम्मेदार लीडर की हैसियत से वो जो कुछ कहते हैं उन्हें याद रखना चाहीए ।

जब वो मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात में इज़ाफ़ा का ऐलान तक याद नहीं रखते तो फिर इस पर अमल आवरी के ताल्लुक़ से राय दहिंदों को किस तरह मुतमइन कर पाएंगे ? । उन्हें यू पी के राय दहिंदों को इस सवाल का जवाब यक़ीनी तौर पर देना होगा। मिस्टर प्रसाद का ये उज़्र इस लिए भी काबिल-ए-क़बूल नहीं कहा जा सकता की उनका उन्हें कांग्रेस को रियासत में इक़तिदार ( सत्ता, शासन) मिलने की सूरत में वज़ारत आली की कुर्सी का ताक़तवर दावेदार समझा जा रहा है और अगर वही अपने वायदा को चंद दिन में फ़रामोश करदें तो फिर अमल कौन करेगा ? ।

सयासी जमातों के हथखंडों और चालबाजियों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि मर्कज़ी हुकूमत है कि कांग्रेस पार्टी वो मुस्लमानों या दीगर अक़ल्लीयतों को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी में क़तई संजीदा नहीं है और सिर्फ इस नारा का इस्तेहसाल करते हुए उत्तर प्रदेश के राय दहिंदों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है ।

कांग्रेस ने छः दहों के अर्सा में कभी मुस्लमानों के लिए तहफ़्फुज़ात की सिफ़ारिश नहीं की और ना इस पर अमल किया गया । ख़ुद मिस्टर सलमान ख़ूर्शीद ने चंद माह क़ब्ल कहा था कि मुस्लमान तहफ़्फुज़ात की बजाय अपने बलबूते पर तरक़्क़ी करने की कोशिश करें।

अब ऐन इंतेख़ाबात के वक़्त और इंतेख़ाबी अमल के दौरान मुस्लमानों से हमदर्दी और तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के वायदे दर असल राय दहिंदों का सयासी इस्तेहसाल करने की एक जामि और मबसूत(विस्तृत) हिक्मत-ए-अमली का हिस्सा हैं और मुल़्क की सब से बड़ी रियासत उत्तर प्रदेश के राय दहिंदों को अपने सयासी शऊर का सबूत देते हुए इनका इस्तेहसाल करने वाली जमातों को सबक़ सिखाना होगा।