तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी से ही मुस्लमानों की अज़मत रफ़्ता की बहाली मुम्किन

हैदराबाद 11 अक्टूबर: ख़ाहिश से कामयाबी नहीं मिलती बल्कि कोशिश करने से कामयाबी हासिल होती है। तहफ़्फुज़ात मुस्लमानों का जमहूरी हक़ है और मुत्तहदा जद्द-ओ-जहद से तहफ़्फुज़ात हासिल किए जा सकते हैं। इन ख़्यालात का इज़हार आमिर अली ख़ां न्यूज़ एडीटर रोज़नामा सियासत ने किया। उन्होंने करीमनगर के कोरटला में मुस्लिम दानिशवरों , अकाबिरीन , तलबा , मज़हबी-ओ-समाजी तन्ज़ीमों से वाबस्ता अफ़राद के एक मीटिंग को मुख़ातिब किया।

रोज़नामा सियासत की तरफ से शुरू करदा हुसूल 12 फ़ीसद मुस्लिम तहफ़्फुज़ात तहरीक के तहत इस मीटिंग का इनइक़ाद अमल में लाया गया। सरपरस्त आला 12 फ़ीसद मुस्लिम तहफ़्फुज़ात तहरीक एडीटर सियासत ज़ाहिद अली ख़ां की ख़ुसूसी हिदायत पर न्यूज़ एडीटर आमिर अली ख़ां तेलंगाना अज़ला के दौरे कर रहे हैं ताके मुस्लमानों में शऊर बेदारी के ज़रीये मुस्लिम समाज की तरक़्क़ी के लिए ज़रूरी तहफ़्फुज़ात को यक़ीनी बनाया जा सके।

कोरटला में इस मीटिंग का इनइक़ाद बार एसोसीएशन ने किया। जिसकी सदारत मुहम्मद मुबीन पाशाह एडवोकेट-ओ-सदर बार
एसोसीएशन ने की। आमिर अली ख़ां ने कहा कि हुकूमत तेलंगाना मुस्लमानों को 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात करने में दिलचस्पी रखती है और ख़ुद चीफ़ मिनिस्टर ने वादा किया है। ताहम एक कामयाब सिम्त और क़ानूनी तरीके से तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाते हैं तो मुस्लमानों को बग़ैर रुकावट उस का फ़ायदा होगा और सिवाए बी सी कमीशन किसी और ज़रीये सिफ़ारिश से मुस्लिम तहफ़्फुज़ात महफ़ूज़ नहीं रहेंगे।

उन्होंने मुस्लमानों से अपील की के वो क़ौम से मुताल्लिक़ अपनी ज़िम्मेदारी को समझें और संजीदा इक़दामात करें। आज तालीम में कमज़ोरी के सबब मुस्लमानों को बेपनाह मुश्किलात का सामना है। मौजूदा दौर में मुस्लमानों को अपनी तरक़्क़ी के लिए कोशिश करने चाहीए। उन्होंने कहा कि क़ौमी तरक़्क़ी के काम को फ़र्ज़-ए-ऐन तसव्वुर करना और जद्द-ओ-जहद करना वक़्त की अहम ज़रूरत है चूँकि आज़ादी के बाद से मुस्लमानों के साथ मुसलसिल नाइंसाफ़ीयाँ जारी हैं जो पसमांदगी की एक वजह है ताहम माज़ी के हालात पर अफ़सोस के बजाये सबक़ सीखते हुए आगे बढ़ना चाहीए।

रियासत तेलंगाना में सरकारी मुलाज़मतों में मुस्लमानों का फ़ीसद बहुत कम है और अब मौक़ा हैके तहफ़्फुज़ात के ज़रीये मुस्लमानों की अज़मत रफ़्ता बहाल की जा सकती है वर्ना 20 साल तक एसा मौक़ा एक लाख 7 हज़ार मुलाज़िमतों वाला आने वाला नहीं।

लिहाज़ा इस मौके से मुस्तफ़ीद होने और क़ौम को फ़ायदा पहूँचाने सियासत ने 12 फ़ीसद मुस्लिम तहफ़्फुज़ात तहरीक का आग़ाज़ किया ताके नौजवान मुस्लिम नसल का रोशन मुस्तक़बिल को यक़ीनी बनाया जा सके।