बी एस पी सरबराह मायावती ने ज़ात पात की बुनियाद पर तहफ़्फुज़ात के ख़िलाफ़ बयान देने वाले कांग्रेस के सीनियर क़ाइद जनार्धन देवी दी पर तन्क़ीद बताते हुए मांग किया कि कांग्रेस को इस मुआमले में अपना मौक़िफ़ वाज़िह करना चाहिए।
पार्लियामेंट के बाहर अख़बारी नुमाइंदों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक सीनियर क़ाइद ने तहफ़्फुज़ात के मौज़ू पर बयान दिया है जिसे हम इनका शख़्सी नज़रिया तसव्वुर नहीं करसकते बल्कि पार्टी का मौक़िफ़ तसव्वुर करते हैं।
इस बयान की हम शदीद मुज़म्मत करते हैं। याद रहे कि देवी दी ने ज़ात पात की बुनियाद पर तहफ़्फुज़ात के सिलसिले को ख़त्म करने का बयान देते हुए राहुल गांधी से कहा था कि मौसूफ़ मआशी तौर पर कमज़ोर तबक़ात के लिए कोटा सिस्टम मुतआरिफ़ करें और इस तरह तमाम फ़िर्क़ों को इस सिस्टम के तहत करदिया जाये।
उन्होंने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए ज़ात पात की बुनियाद पर तहफ़्फुज़ात के सिलसिले को ख़त्म करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि ये सिलसिला अब तक इस लिए ख़त्म नहीं हुआ कि मुफ़ाद हासिला से जुड़े कुछ लोग इससे साथ थे। क्या दलित और दीगर पसमांदा तबक़ात में हक़ीक़ी तौर पर ज़रूरतमंद लोगों को तहफ़्फुज़ात के फ़ायदे हासिल हुए हैं ?
उन फ़िर्क़ों में भी जो लोग मआशी तौर पर मजबूत होते हैं, वही इससे फ़ायदा उठाते हैं जबकि हक़ीक़ी ज़रूरतमंद महरूम रह जाते हैं। देवी दी ने कहा था कि समाजी इंसाफ़ और ज़ात पात में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है। दूसरी तरफ़ एल जे पी सरबराह राम विलास पासवान ने भी देवी दी के बयान की मुज़म्मत की थी।
हालाँकि असेंबली इंतिख़ाबात से क़बल कांग्रेस एल जे पी से मेल के लिए पेशरफ़्त कर रही है। पासवान ने कहा कि देवी दी के रिमार्कस दस्तूर हिंद के खिलाफ हैं और इससे सिर्फ़ अपोज़ीशन को ही फायदा हासिल होगा। हमारा मांग है कि कांग्रेस पार्टी इस रिमार्क की मुज़म्मत करे ताकि अवाम को कोई ग़लत पैग़ाम ना मिल सके।
पासवान भी पार्लियामेंट के बाहर अख़बारी नुमाइंदों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के सीनियर क़ाइदीन से बात चीत की है और वो (कांग्रेस क़ाइदीन) ख़ुद भी इस बात पर हैरान हैं कि ऐसे ग़लत रिमार्कस क्यों किए गए। मायावती ने कांग्रेस की क़ियादत वाली यू पी ए हुकूमत को 1984 के सिख मुख़ालिफ़ फ़सादात के मुतासरीन को इंसाफ़ दिलाने में नाकामी पर एक बार फिर शदीद तन्क़ीद का निशाना बनाया।