लखनऊ: द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती एक बार फिर से अपने बयानों को लेकर मुतनाज़े में आ गए हैं। शंकराचार्य स्वामी ने हाल ही में एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जिससे बडा मसला पैदा हो सकता है।
शंकराचार्य स्वामी ने दावा किया है कि ताजमहल में पहले शिवलिंग था। उसके सात तल्लों में नीचे के दरवाजों के अंदर शिवलिंग है। ताला खोलने पर सच्चाई सामने आएगी।
उनका कहना है कि असल में यह ताजमहल नहीं बाबा अग्रेश्वर का मंदिर है। उन्होंने कहा कि इसे अकीदतमंदो के लिए खोला जाना चाहिए। अगर ये दरवाजा नहीं खुलता है, तो वहां किसी भी हिन्दू को जाने की जरूरत नहीं है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अजमेर में चिश्ती की दरगाह समेत कई और मुस्लिम मज़हबी मुकामात को हिन्दु देवी देवताओं का ठिकाना बताया।
शंकराचार्च का दावा है कि इन मुकामात को भी मुस्लिम हुक्मरानों ने तोडकर मस्जिद बना दिया। शंकराचार्य का दावा है कि उन्होंने इस मामले को सुलझाने के लिए कोर्ट में अर्जी भी दी है। ताकि, ताजमहल पर हिंदुओं के दावे को पुख्ता किया जा सके। शंकराचार्य ने हुकूमत से से पूरे मुल्क में गाय के जिबह पर रोक लगाने की अपील भी की है। उनका मानना है कि देश में गाय के जिबह को रोकने का इससे बेहतर मौका नहीं मिल सकता।