उन्होंने मुझे सल्फी, बुनियाद परस्त और इन्सान दुश्मन कहा। इन में से दो ने मेरे बाज़ू पकड़े जबकि एक और शख़्स ने मेरी आधी दाढ़ी मूंड दी। जावेद अकरम का कहना है कि गूज़िश्ता माह जब वो अपने सात साला बेटे के हमराह जा रहे थे तो ताजिक पुलिस ने उन्हें उन के घर के बाहर रोका और उन्हें दो शंबा में थाने ले गए जहां ज़बरदस्ती उन की दाढ़ी मूंड दी गई।
वो ताजिकस्तान के उन हज़ारों मर्दों में शामिल हो गए हैं जिन्हें हालिया चंद सालों के दौरान दाढ़ी रखने की पादाश में गिरफ़्तार किया गया है। ताजिकस्तान में दाढ़ी मुंडवाना उन रुजहानात की रोक-थाम की हुकूमती मुहिम का हिस्सा है जो ताजिक सक़ाफ़त से अलग और मुतज़ाद ख़्याल किए जाते हैं।
इस हफ़्ते के आग़ाज़ में ताजिकस्तान के इलाक़े ख़तलोन में पुलिस ने कहा कि उन्हों ने इन्सिदादे बुनियाद परस्ती की मुहिम के तहत तक़रीबन 13 हज़ार अफ़राद की दाढ़ियाँ मूँडी हैं।