तारकीने वतन अब समुंद्र की बजाय साईकलों पर

जिनका ताल्लुक़ अल्जीरिया से है और वो टूटी फूटी अंग्रेज़ी बोल लेते हैं। वो रोज़ बरोज़ बढ़ते उन पनाह गुज़ीनों में से एक हैं जो रूस के ज़मीनी रास्ते पर सफ़र करते हैं और फिर कुतुबे शुमाली के दायरे के क़रीब इस मुक़ाम पर पहुंच जाते हैं जहां दोनों सरहदें आपस में मिलती हैं।

2014 के दौरान सिर्फ सात पनाह गुज़ीनों ने स्टोर्स काग चौकी की सरहद पार की थी। लेकिन रवां बरस अक्तूबर तक 1100 अफ़राद ये सरहद पार कर चुके हैं। उनमें से कुछ का ताल्लुक़ इराक़ से, कुछ का अफ़्ग़ानिस्तान और कुछ का लेबनान से है लेकिन ज़्यादा तर शामी हैं।

उन्हें साईकल की ज़रूरत पड़ती है क्यों कि रूसी हुक्काम लोगों को रूसी सरहद पैदल पार करने की इजाज़त नहीं देते। नार्वे के क़ानून की रू से ड्राईवर के लिए ये क़ानून तोड़ने के ज़ुमरे में आता है कि वो बग़ैर मुकम्मल दस्तावेज़ात के लोगों को अपनी गाड़ी के ज़रीए मुल्क में दाख़िल कराए।