एक इराक़ी अदालत ने इस बारे में शहादतें (गवाही) कलमबंद किए कि नायब सदर (उप राष्ट्रपती) तारिक़ अल हाशमी ने अपने मुख़ालिफ़ीन (विरोधीयों) को क़त्ल करने का मंसूबा बनाया था। तारिक़ ने इस इल्ज़ाम को मुस्तर्द करते हुए कहा कि उन पर ये इल्ज़ाम सयासी बुनियाद पर आइद किया जा रहा है। इराक़ की सेन्ट्रल क्रीमिनल कोर्ट ने मक़ाम के तनाज़ा की बिना पर दो हफ़्ते की ताख़ीर के बाद केस की समाअत दुबारा शुरू की।
अदालत ने इन तीन अफ़राद जिन की हलाकत का इल्ज़ाम अल हाशमी पर आइद किया जा रहा है , उन के अज़ीज़-ओ-क़ारिब (चाहने वालों) की शहादतें (गवाही) भी कलमबंद कीं। अल हाशमी पर जिन का शुमार इराक़ के आला सुन्नी अल अकीदा अरब हुक्काम में होता है, दिसंबर में अपने स्टाफ़ और मुहाफ़िज़ीन के इलावा किराए के क़ातिलों की सरपरस्ती करने का इल्ज़ाम लगाया गया था। इन के ख़िलाफ़ उन की अदम (गैर) मौजूदगी में मुक़द्दमा चलाया जा रहा है। मंगल के रोज़ समाअत के दौरान दो स्कियोरिटी अहलकारों और एक वकील के क़त्ल के मुक़द्दमा की समाअत की गई।