तारीकी में हमलों पर अमरीका अफ़्ग़ानिस्तान समझौता मुम्किन

अमरीका और अफ़्ग़ान आफ़िसरान रात के वक़्त किए जाने वाले हमलों का तरीका कार बदलने के लिए एक समझौता करने वाले हैं। इन हमलों में अफ़्ग़ान सेक्युरिटी फ़ोरसीज़ क़ियादत करेंगी और इस की अदालती निगरानी भी होगी।वाज़िह रहे कि रात के इन हमलों से अफ़्ग़ान नफ़रत करते हैं मगर अमरीकी फ़ोरसीज़ बहुत मूसिर समझती हैं।

इस समझौते की बुनियाद पर दोनों के दरमयान वसी शराकत के मुआहिदे की राह हमवार हो जाएगी जिस से अमरीका 2014 के आख़िर में अपनी फ़ौज हटाने के बावजूद अफ़्ग़ानिस्तान में मौजूद रह सकता है।इस बात पर इत्तिफ़ाक़ राय हो गया है कि रात के हमले अफ़्ग़ान क़ियादत में किए जाएं और इस के लिए अदालत के वारंट का निज़ाम हो। मगर अब भी पूछताछ के लिए लोगों को हिरासत में रखने के बारे में इख़तिलाफ़ात हैं।

अफ़्ग़ान आईन कहता है कि सलामती दस्तों की जानिब से घरों की तलाशी को कोई जज मंज़ूरी दे। अफ़्ग़ान सदर हामिद करज़ई बहुत अर्सा से अमरीका के साथ बातचीत में रात के हमले बंद करने पर ज़ोर देते रहे हैं। इन का कहना है कि ये अफ़्ग़ान इक़तिदार-ए-आला की ख़िलाफ़वरज़ी हैं। अमरीका बहुत अर्सा से इस बात की कोशिश कर रहा है कि अफ़्ग़ानिस्तान के साथ इस का कोई स्ट्रेटीजीक‌ पार्टनरशिप का मुआहिदा तय‌ पा जाये ताकि 2014 के बाद भी वो अफ़्ग़ानिस्तान में मौजूद रह सके और इस का एक हद तक वहां कंट्रोल रहे।

पिछले माह अमरीका के कंट्रोल वाली एक जेल अफ़्ग़ानों के हाथों में देने का मुआहिदा हो चुका है। अब रात के हमलों का मुआमला तै होना बाक़ी है जिस पर काफ़ी उलझन है। वज़ीर-ए-ख़ारजा हिलारी क्लिन्टन ने कल नाटो की एक मीटिंग में ये कहा कि हम लड़ाई में तो अब हिस्सा नहीं लेंगे मगर तवील अर्सा तक अफ़्ग़ान सैक्योरिटी फ़ोर्सिज़ की मदद करते रहेंगे, नीज़ थोड़ी अमरीकी फ़ौज वहां तर्बीयत देने केलिए रहेगी। इंडोनेशाई मख़लूत हुकूमत से इस्लाम पसंद पार्टी का इख़राज( राइटर्स) इंडोनेशिया की सदर सौसेलोबम्बांग उवधेवनो ने बरसर-ए-इक़तिदार मख़लूत से इस्लाम पसंद पी के इस पार्टी को ख़ारिज कर दिया है जब कि इस ने इंधन की कीमतों में इज़ाफ़ा की मुख़ालिफ़त की थी । इस इक़दाम को पार्लीमेंटट में इन की ओथॉरीटी को मज़बूत करने की सिम्त कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है ।

इस फैसले का ऐलान कल रात उवधेवनो की डेमोक्रेटिक पार्टी के एक रुकन ने किया जबकि पी के इस ने इंधन की कीमतों में 33 फीसद इज़ाफ़ा केलिए हुकूमती मंसूबा की मुख़ालिफ़त करने वाले पारलीमानी हरीफ़ों में शामिल होने का फैसला करलिया। पार्लीमेंट ने हफ़्ता को राय दही के ज़रीया इजाज़त दी कि फ्यूल की कीमतों में बाअज़ शराइत के तहत इज़ाफ़ा किया जा सकता है हालाँकि ये तशवीश बरक़रार है कि एसा करने से इफ़रात-ए-ज़र की शरह बढ़ सकती है और जुनूब मशरिक़ी एशिया-ए-की इस सब से बड़ी मईशत में एहतिजाज छिड़ सकते हैं। ेवधेवनो को दो मीयादों की तकमील के बाद 2014 में लाज़िमी तौर पर सुबुकदोश होना है ।