तारीख़ी सिटी कॉलेज की इमारत को ख़तरा

(नुमाइंदा ख़ुसूसी) सिटी कॉलेज के रूबरू सीवरेज लाईन की मेन चैंबर के सामने वाक़्य एक हेरिटेज इमारत तारीख़ी सिटी कॉलेज को ख़तरा पैदा होसकता है क्यों कि यहां 30 फुट गहिरा गढ़ा किया गया है । ये पराजकट 15 फरवरी को शुरू किया गया था । मई 2012 तक उम्मीद है कि इस को मुकम्मल करलिया जाएगा । इस पराजकट क्वीन यन यू आर ऐम ने हासिल किया है । जिस के मैनिजिंग डायरैक्टर यानी यम डी वासू देव रेड्डी हैं । हम ने इस पराजकट के कोआर्डीनेटर मोहन रेड्डी से मुलाक़ात की । बताया गया कि इस पराजकट की सीवरेज मैन , लाईन की तामीर मूसा नदी , हाईकोर्ट रोड सिटी कॉलेज से मूसा बावली , महबूब चौक , मोती गली , अक़ब मक्का मस्जिद , पंच मुहल्ला बस असटानड , शाह अली बंडा , सय्यद अली चबूतरा से अली आबाद तक होगी । शहर की दूसरी लाईनों को इस मेन लाईन से मिलाया जाएगा । ये पिया केज II है जिस की लागत 55 करोड़ है इस सीवरेज लाईन को मूसा नदी में जो पहले ही से लाईन है इस से जोड़ दिया जाएगा । मालूमात रखने वाले जानकारों का कहना है कि किसी भी हेरिटेज इमारत से 30 मीटर अंदर तक कोई खुदवाई नहीं की जा सकती है जब कि तारीख़ी इमारत सिटी कॉलेज के बिलकुल रूबरू 30 फुट गहिरा गढ़ा J.C.P से किया गया है वो भी बलदिया की इजाज़त लिए बगै़र । ऐसा करने से तारीख़ी इमारत को ख़तरा लाहक़ होसकता है । कोआर्डीनेटर ने कहा काम एहतियात से किया जा रहा है । हाँ एक बात दरुस्त है कि गढ़े और इमारत के दरमयान फ़ासिला कम है । उन्हों ने कहा कि काम तो हम को करना है । अगर ख़ुदा-ना-ख़ासता खुदवाई के दौरान पत्थर या चट्टान आजाए तो बर्मा लगाए जाते हैं । हम ने पूछा ऐसा करने में क़रीब की इमारतों को ख़तरा लाहक़ होसकता है । ऐसा अक्सर देखने में आया है कि कंट्टर एक्टर किसी तरह से मैनेज कर के गै़रक़ानूनी तरीक़ा से बर्मा लगाते हैं और अपना काम जारी रखते हैं । क्यों कि उन्हें तो सिर्फ अपने काम से मतलब होता है लेकिन ये काम तारीख़ी इमारत सिटी कॉलेज के क़रीब होरहा है बल्कि रूबरू होरहा है तो ये बलदिया की ज़िम्मेदारी है कि वो वक़फ़ा वक़फ़ा से काम पर नज़र रखे ताकि सिटी कॉलेज की तारीख़ी इमारत को कोई नुक़्सान ना पहुंचे । क़ारईन आप को हम ये बताते चलें कि बेगम पेट की तारीख़ी जामि मस्जिद ऐवान जो अर पोर्ट के रूबरू वाक़्य है 18 अगस्त 2010 को इस मस्जिद के क़रीब 30 फुट गहिरा सेलर खोदा गया था और बर्मा भी लगाया गया था जिस की वजह से मस्जिद के बुलंद-ओ-बाला और ख़ूबसूरत मीनारों और मस्जिद के हाल में शिगाफ़ें पड़ गईं थीं । मुक़ामी मुस्लमानों ने एहतिजाज किया और पुलिस ने काम रुकवा दिया । यहां सीवरेज लाईन का काम करने वालों को चाहीए कि वो सिटी कॉलेज का ख़्याल रखें इस के तहफ़्फ़ुज़ को अपना फ़र्ज़ समझें । ये मालूम किया जाना चाहीए कि तारीख़ी इमारत से 30 मीटर से कम फ़ासिला पर 30 फुट का गहिरा गढ़ा खोदने की इजाज़त किस से हासिल की गई थी । अक्सर-ओ-बेशतर कंट्टर एक्टर बर्मा रात के अंधेरे ही में लगाते हैं ताकि पता ना चले और बर्मा लगाने के बाद इस जगह रेत से भरे थैले डाल कर मुआमला रफ़ा दफ़ा करने की कोशिश करते हैं ताकि धमाका की आवाज़ कम से कम की जाय और ये अहम बात भी अपने क़ारईन को बतादें कि कई काम तलंगाना मैं होरहे हैं फ़ायदा हम से ज़्यादा आंधरा वालों का होरहा है । ज़मीन के अंदर जो पाइप बिछाए जा रहे हैं वो आंधरा वालों से हासिल किए जा रहे हैं । हमारे हिन्दू मुस्लिम भाई जानों की क़ुर्बानी दे कर तलंगाना हासिल करने की अनथक कोशिश कररहे हैं । ये आंधरा के सरमायादार चाहते हैं कि ज़मीन के ऊपर लगा हुआ बर्क़ी पोल हो या ज़मीन के अंदर के नल का पाइप हो इलाक़ा तलंगाना में स्पलाई कर के ख़ूब कमाई करें और कर भी रहे हैं ।