तारीख़ी सिटी कॉलेज में मुस्लिम तलबा के मुस्तक़बिल से खिलवाड़

नुमाइंदा ख़ुसूसी—– शहर हैदराबाद में उर्दू के हवाले से तारीख़ी सिटी कॉलेज बहुत मशहूर है। इस कॉलेज की ख़ूबसूरत इमारत को बिलाशुबा फ़ने तामीर का शाहकार कहा जाता है। इस कॉलेज के साए में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई तलबा पढ़ाई करते हुए आला ओहदों पर फ़ाइज़ हुए। कोई चीफ मिनिस्टर बना तो किसी को गवर्नर बनने का एज़ाज़ हासिल हुआ। इसी तरह कई माहिरीन तालीम, आला पुलिस ओहदेदार, सियासतदां, सहाफ़ी, अदबा, शोरा और अपने ज़माने के मशहूर और मारूफ़ कई खिलाड़ी सिटी कॉलेज की पैदावार हैं।

लेकिन ऐसा लगता है कि अब इस सिटी कॉलेज में मुहब्बत और मुरव्वत और हमदर्दी की जगह तास्सुब मुआनिदाना रवैया और ग़फ़लत और बेहिसी ने ले ली है। इस कॉलेज में इंटरमेडीएट साल अव्वल और दोम में तलबा की एक कसीर तादाद है लेकिन इन तलबा में से कई तलबा को कॉलेज इंतेज़ामीया सालाना इम्तेहानात में शिरकत से रोकने की भरपूर कोशिश कर रहा है।

तलबा और औलियाए तलबा ने बताया कि उन्हें हाज़िरी कम होने का बहाना बनाकर इम्तेहानात में शिरकत से रोका जा रहा है। अगर्चे इम्तेहानात की फीस सितंबर में दाख़िल करनी थी लेकिन कॉलेज इंतेज़ामीया ने इन तलबा को तत्काल स्कीम के तहत फीस दाख़िल करने के लिए कहा लेकिन अब 6 दिसंबर तत्काल स्कीम के तहत फीस दाख़िल करने की आख़िरी तारीख है।

इस के बावजूद कम अज़ कम 32 मुस्लिम तलबा को फीस दाख़िल करने का मौक़ा नहीं दिया जा रहा है। तलबा 6 दिसंबर से क़ब्ल 500 रुपये इज़ाफ़ी फीस के साथ इम्तेहान की फीस दाख़िल कर सकते हैं और ऐसे तलबा जिन की हाज़िरी कम हो वो हाज़िरी से इस्तिस्ना की अलाहिदा 500 रुपये फीस अदा करते हुए इम्तेहानात में शरीक हो सकते हैं लेकिन इन मुस्लिम तलबा को फीस दाख़िल करने का मौक़ा ही नहीं दिया जा रहा है।

तलबा ने बताया कि मुसलसल गैर हाज़िर रहने वाले गैर मुस्लिम तलबा को फीस के इदख़ाल का मौक़ा दिया गया है जिस से इन में ये एहसास पैदा होता है कि उन से जानिबदारी बरती जा रही है और तास्सुब का मुज़ाहरा किया जा रहा है। हैरत की बात ये है कि इन तलबा की मदद करने और उन्हें इम्तेहान में शिरकत का हक़ दिलाने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।

तलबा ने बताया कि उन्हों ने रियासती हुक़ूक़े इंसानी कमीशन के सरब्राह जनाब आबिद रसूल ख़ान से भी नुमाइंदगी की। तलबा ने ये भी बताया कि रयाज़ी पढ़ाने वाले लेक्चरर तलबा को मुबैयना तौर पर ये कहते हुए वापिस कर रहा है कि ओपन इंटरमेडीएट से तालीम मुकम्मल करलो। ये लेक्चरर फिर तलबा से गैर मुहज़्ज़ब अंदाज़ में बात करता है। बहरहाल अब देखना ये है कि सेक्रेट्री बोर्ड आफ़ इंटरमेडीएट क्या कार्रवाई करते हैं।