तालिबानी फैसला सुनाने वाली खाप पंचायतों को “लोक अदालत” का दर्जा चाहिए

कभी लड़कियों के जींस पहनने पर पाबंदी लगाने तो कभी उनके बाजार जाने पर रोक लगाने जैसा फरमान जारी करने के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाली खाप पंचायतें अब लोक अदालत का दर्जा चाहती हैं। इसके लिए सोमवार को कंडेला खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी से मुलाकात की। इस मुलाकात से संतुष्ट खाप-पंचायतों के प्रतिनिधि यह दलील दे रहे हैं कि अदालतों में लंबे चलने वाले मामलों के चलते रंजिश बढ़ती है और इसका असर भाईचारे पर पड़ता है।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल सर्वजातीय खाप पंचायत के राष्ट्रीय संयोजक टेकराम कंडेला का कहना है कि इसका सकारात्मक असर समाज में नीचे तक जाएगा। 36 बिरादरियों के भाईचारे को मजबूत बनाए रखने के लिए खाप पंचायतों को लोक अदालत का दर्जा दिया जाना वक्त की जरूरत बन गई है। उन्होंने कहा कि खाप पंचायतें कभी फैसले नहीं सुनाती बल्कि दोनों पक्षों की रजामंदी बनाकर माहौल को बेहतर बनाए रखने का काम करती है। ऐसे में खाप पंचायतों को यदि लोक अदालत का दर्जा मिलता है तो इससे जहां अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम होगा वहीं खाप व पंचायतों के लेवल पर ही मामले सुलझ जाएंगे।