नवाज शरीफ की हुकूमत लगातार दावे कर रही है कि हम दहशतगर्दों की कमर तोड़ देंगे, लेकिन उनके अमल में यह हनक नहीं दिखाई देती। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की हुकूमत की तरफ से साल 2008 में फांसी पर लगाई गई रोक को खत्म करने के वादे से पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की हुकूमत पलट गई है।
दहशतगर्द गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की मुसलसल धमकियों और दहशतगर्द हमलों से घबराकर पीएमएलएन हुकूमत ने पीपीपी की तरफ से लगाई गई रोक को बरकरार रखने का फैसला किया है। पिछले हफ्ते पेशावर में दहशगर्दों ने जमकर खून बहाया। तीन दहशतगर्दी हमलों में तकरीबन 150 लोगों को जान गंवानी पड़ी।
पीपीपी की तरफ से फांसी पर लगाई गई रोक पिछले 30 जून को खत्म हो गई थी। उस उक्त के सदर आसिफ अली जरदारी ने हुकूमत से इस पर रोक बरकरार रखने की अपील की थी। इसे नवाज सरकार ने मान लिया था। जुमेरात के दिन वज़ारत ए दाखिला के तर्जुमान उमर हमीद खान ने कहा कि हुकूमत ने रोक जारी रखने का फैसला किया है। बैनुल अकवामी के वादो के तहत हमने यह फैसला लिया है।
इक्तेदार में आने के बाद वज़ीर ए आज़म ने ऐलान किया था कि वह गुनाहगारों और दहशतगर्दों में डर पैदा करने के लिए मौत की सजा दोबारा शुरू करना चाहते हैं। पाकिस्तान की जेलों में 8,000 से ज्यादा लोग मौत की सजा का इंतेजार कर रहे हैं।