तालीमी निज़ाम में बढ़ते हुए तिजारती रुजहान की मुज़म्मत

हैदराबाद । 24 नवंबर (सियासत न्यूज़) आंधरा प्रदेश के गवर्नर ई ऐस एल नरसिम्हन ने आज स्कूलों पर ज़ोर दिया कि वो काबिल-ए-दस्तरस फ़ीस और मसारिफ़ पर मयारी तालीम फ़राहम करें। उन्हों ने तालीमी निज़ाम में बढ़ते हुए तिजारती रुजहान की सख़्त मुज़म्मत की। मिस्टर नरसिम्हन ने आज रामोजी फ़िल्म सिटी में इंडियन स्कूल सर्टीफ़िकेट के स्कूलस एसोसी उष्ण की 54 वीं सालाना कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए इस उम्मीद का इज़हार किया कि स्कूलस अपने मुनाफ़ा की शरह को घटाऐंगे और तालीम को सब के लिए काबिल-ए-दस्तरस बनाईंगे।

उन्हों ने तालीमी निज़ाम में ताजिराना रुजहान पर गहिरी तशवीश का इज़हार किया और कहा कि इस से तलबा में ग़लत तास्सुरात पैदा होंगे और वो ये समझने पर मजबूर होजाएंगे कि तालीम भी महिज़ एक काबिल ख़रीद शए है। चुनांचे उन्हों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि तालीमीइदारा जात को चाहीए कि वो एक मॶसर ज़ाबता अख़लाक़ अपनाईं और तलबा पर ज़रूरत से ज़्यादा मसारिफ़ आइद ना करी। उन्हों ने कहा कि इस मक़सद केलिए स्कूलों को चाहीए कि वो इस कान्फ़्रैंस के बक़ीया 3 दिन के दौरान भी इसी मविज़वा पर तफ़सील के साथ बेहस मुबाहिसा करें।

क्योंकि तलबा की अक्सरीयत भारी फ़ीस और तालीमी मसारिफ़ बर्दाश्त करने की मुतहम्मिल नहीं है। उन्हों ने कहा कि माहिरीन तालीम को चाहीए कि वो इस बात पर ये ग़ौर करें कि आया तमाम टीचर्स मुनासिब क़ाबिलीयत , सलाहीयत-ओ-महारत के हामिल हैं या नहीं और इस बात को भी मल्हूज़ रखा जाय कि तादाद महिज़ आदाद शुमारी तक महिदूद ना रही। मिस्टर नरसिम्हन ने इंतिहाई आलिमाना अंदाज़ में फ़िक्र अंगेज़ ख़िताब के दौरान शोबा तालीम से वाबस्ता माहिरीन और सरकरदा शख़्सियात पर ज़ोर दिया कि वो तालीमी मयार को मुक़र्ररा निशाना तक पहुंचाएं ना कि सिर्फ क़लील निशानों तकमील पर तवज्जा मर्कूज़ की जाई। उन्हों ने कहा कि ऐसे असातिज़ा केलिए एक नए रोल का ताय्युन किया जाय जो तलबा को अख़लाक़-ओ-इक़दार पर मबनी तालीम फ़राहम करते हैं।

उन्हों ने असातिज़ा पर ज़ोर दिया कि वो ख़ुद अपने लिए भी आला मयार का ताय्युन करें और ख़ुद को तबदील करते हुए असरी तग़य्युरात से हम आहंग करें वर्ना हिंदूस्तान की तरक़्क़ी मुम्किन नहीं होगी। गवर्नर ने कहा कि टीचर्स किसी भी मलिक और मुआशरा का एक अहम बाज़ू और क़ुव्वत होते हैं। टीचर्स आज जो ख़िदमात अंजाम देते हैं वो मुल़्क की मुस्तक़बिल साज़ी का मूजिब होता है। चुनांचे मुलक केलिए एक बेहतरीन और ताबनाक मुस्तक़बिल की बुनियाद रखना टीचर्स की ज़िम्मेदारी है। गवर्नर ने बाअज़ स्कूलों में दाख़िला केलिए 100 फ़ीसद कट आफ़ मार्क्स केलिए इसरार करने के रुजहान की सख़्त मुज़म्मत की और सवाल किया कि आया 98 फ़ीसद निशानात हासिल करने वाला कोई तालिब-ए-इल्म दाख़िला केलिए नाअहल होसकता है?।

मिस्टर नरसिम्हन ने कहा कि तमाम स्कूलों और तलबा केलिए मुसाबक़त नुमायां एहमीयत की हामिल होती है, लेकिन तलबा पर मुसाबक़त के लिए गै़रज़रूरी दबाॶ नहीं डाला जाना चाआई। स्कूलों को चाहीए कि वो बिशमोल कमज़ोर तलबा हर किस्म के तलबा को दाख़िला देना चाहीए और यकसाँ तौर पर उन्हें तालीम और सलाहीयत से आरास्ता करना स्कूलों की ज़िम्मेदारी होती है। उन्हों ने इस बात को दुहराया कि टीचरों को चाहीए कि तलबा में मज़बूत-ओ-मुस्तहकम बुनियादी अख़लाक़ी इक़दार का पाबंद करे क्योंकि इक़दार से दूरी की कोई गुंजाइश नहीं होसकती। अगर टीचर्स बेहतर तालीम को यक़ीनी बनाईं तो सारे अक़्वाम आलम में हिंदूस्तान को सरकरदा मुक़ाम हासिल होगा।

क़ब्लअज़ीं रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राॶ ने गानधयाई उसूलों की बुनियाद पर तालीम फ़राहम करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्हों ने कहा कि तालीम को हुब्ब-उल-व्तनी से हम आहंग किया जाई। ऐसी तालीम को आम किया जाय जो सच्चाई को फ़रोग़ देती है। बादअज़ां रमादेवी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल मारूति राम प्रसाद ने कहा कि ये कान्फ़्रैंस क़रारदाद मंज़ूर करेगी जो हुकूमत को पेश की जाएगी ताकि तालीमी निसाब में ज़रूरी तबदीलीयां की जा सकए।