तालीमी संस्थानों में पिछ्डे लोगों के लिए 25फ़ीसद सिटें खास‌

बीदर।( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़) किसी भी कलास‌ में नए स्टुडंट को दाख़िला देने वाले स्कूलों को अब 25 फ़ीसद सीटें समाज के कमज़ोर और पिछड़े हुए लोगों से ताल्लुक़ रखने वाले बच्चों के लिए खास‌ करनी होंगी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि हक़ तालीम क़ानून ( आर टी ई ) के तहत एसा करना चाहीए। अदालत‌ ने एक निजी संस्था ( एन जी ओ ) की तरफ‌ से दाख़िल कि गइ तमाम लोगों कि भलाइ की दरख़ास्त कि सुनावाइ के बाद ये फ़ैसला सुनाया।

दरख़ास्त में कहा गया है कि मद्रेसें रिज़र्वेशन पर अमल नहीं कर रहे हैं। अदालत‌ ने महिकमा तालीमात से स्कूलों में रिज़र्वेशन से मुताल्लिक़ वज़ाहत भी तलब की है। बंच ने और‌ कहा कि परी स्कूल तालीम में लगे हुए स्कूलों को भी मआशी तौर पर कमज़ोर तबक़ात (ई डब्लयू एस) और पिछड़े हुए बच्चों को 25फ़ीसद सीटें खास‌ करनी चाहीए।

जिन स्कूलों में परी स्कूल तालीम का एहतिमाम नहीं है और जो पहली कलास‌ में दाख़िला देते हैं इन को भी इस का ख़्याल रखना चाहीए। बंच ने कहा कि इस ने ये ख़्याल सुप्रीम कोर्ट की तरफ‌ से आरटीई से मुताल्लिक़ तारीख़ी फ़ैसले कि वजह से ज़ाहिर किया है। इस क़ानून पर 2012-13 से ही अमल होना है।