हैदराबाद 25 जुलाई: मर्कज़ी वज़ीर फाइनैंस अरूण जेटली ने कहा कि हिन्दुस्तानी ज़रई शोबे में मुलाज़िमतें बहुत कम है। हिन्दुस्तानी ज़रई शोबा मुल्क की जुमला घरेलू पैदावार का 16 फ़ीसद हिस्सा अदा करता है। महबूबनगर के क़तूर मंडल में समबयासस यूनीवर्सिटी की इफ़्तेताही तक़रीब से ख़िताब करते हुए जेटली ने कहा कि कुछ तरक़्क़ी याफताह मुमलिक में लोग इस शोबे की सिम्त मुतवज्जा हो रहे हैं और उम्मीद है कि हिन्दुस्तान नौजवानों के लिए भी इस में मवाक़े दस्तयाब हूँ अगर वो बेहतर तर्बीयत हासिल करते हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में ज़राअत का शोबा काश्तकारों के लिए ज़्यादा कुछ राहत फ़राहम नहीं करता।
दर-हक़ीक़त इस में मुलाज़िमतें बहुत कम हैं। उन्होंने कहा शोबे में हमारी ख़ाहिश ये है कि ये शोबा हमारी मईशत का 25 फ़ीसद हिस्सा अदा करे। इस कोशिश में हमने पहले सनअती इन्क़िलाब के वक़्त दस्तयाब मौक़ा गंवा दिया। हमने दूसरे और तीसरे सनअती इन्क़िलाब के मौके को भी गंवा दिया। जो कम क़ीमत था।
वज़ीर फाइनैंस के मुताबिक़ चीन और दूसरे एशियाई ममालिक की मईशतों को हिन्दुस्तान से ज़्यादा फ़ायदा हुआ है। अब एसा लगता है कि चौथा सनअती इन्क़िलाब हिन्दुस्तान के लिए मौक़ा फ़राहम करसकता है और हमें उम्मीद है कि हम इस से फ़ायदा उठा सकते हैं इस ताल्लुक़ से क़तईयत से कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि ये एक तल्ख़ हक़ीक़त है कि हम सर्विसेस पर मबनी मईशत रखते हैं। सर्विसेस का शोबा हमारी जुमला घरेलू पैदावार का 60 फ़ीसद हिस्सा अदा करता है।
ख़ानगी शोबे की तरफ से आला तालीम के फ़रोग़ के इक़दामात का तज़किरा करते हुए वज़ीर फाइनैंस ने कहा कि 20 25 साल पहले ये सब कुछ तसव्वुर में भी नहीं था। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में अवाम उसी वक़्त फ़ायदा हासिल कर सकते हैं जब वो तर्बीयत याफताह हूँ और उनको इन्सानी वसाइल में तबदील किया जाये। हम दुनिया की बड़ी आबादीयों में से एक हैं और एक अहम तबदीली ये हो रही है कि बेशतर तरक़्क़ी याफताह ममालिक में कॉन्ट्रैक्ट पर ख़िदमात हासिल की जा रही हैं। वहां उम्र का मसला है। वहां उनके पास इतनी तादाद में लोग नहीं हैं कि ख़ुद इनका निज़ाम सँभाल सकें।