नई दिल्ली: तालीमी निज़ाम इस क़दर जामा होना चाहिए कि इस के समरात छोटे छोटे देहातों तक पहुँचीं और माहिरीन के लिए ज़रूरी है कि वो इस शोबा को तिजारत बनने ना दें।
मर्कज़ी वज़ीर वी के सिंह ने आज माहिरीन तालीम के एक प्रोग्राम से ख़िताब करते हुए कहा कि हमने तालीमी निज़ाम में ज़्यादा तबदीलीयां नहीं की हैं।
निसाब तालीम को ज़्यादा तबदील नहीं किया गया और इस में सिर्फ मामूली तबदीलीयां लाई गईं। वो समझते हैं कि माहिरीन तालीम पर ये भारी ज़िम्मेदारी आइद होती है कि इस मसले का एक ऐसा हल तलाश करें जो निज़ाम तालीम के हक़ में बेहतर और क़ौम के लिए कारगर हो।