तालीम, निसाब पर नहीं बल्कि बच्चों की ज़हानत पर: कपिल सिब्बल

वज़ीर टेलीकॉम कपिल सिब्बल ने तालीमी शोबा में इस्लाहात(सुधार) की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस्लाहात बच्चों की तालीम पर होनी चाहिए ताकि वो तालीमी मैदान में ऐसे शोबों का इंतिख़ाब करसकें जहां आगे चल कर वो अपने ख़ाबों की ताबीर पा सकें।

जो बच्चे डाक्टर बनना चाहते हैं, उन्हें डाक्टर बनने दें, जो इंजीनय‌र बनना चाहते हैं उन्हें इंजीनय‌र बनने दें और इसी तरह मुख़्तलिफ़ कैरियर्स का इंतिख़ाब ख़ुद बच्चों को ही करने दीजिए और ये सिर्फ़ उसी वक़्त होसकता है जब तालीमी शोबा को बच्चों की तालीम पर मर्कूज़ रखा जाये।

हिंदुस्तान के पहले मिर्रीख़ मिशन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जब हम मिर्रीख़ पर सटीलाईट लॉंचिंग की बात करते हैं तो हमें ये भी याद रखना चाहिए कि मुल्क में ज़ाइद 220 मिलियन सटेलाइटस हैं बिल्कुल यही बात बच्चों के बारे में भी कही जा सकती है कि कई मिलियन बच्चों को अपने मदार का इंतिख़ाब ख़ुद करने दीजिए और उन्हें रोशन होने का मौक़ा दीजिए।

याद रहे कि कपिल सिब्बल के पास वज़ारत फ़रोग़ इंसानी वासिल और साइंस-ओ-टैक्नोलोजी के क़लमदान भी थे। दो रोज़ा CII ग्लोबल यूनीवर्सिटी इंडस्ट्री कांग्रेस से ख़िताब करते हुए उन्होंने एक बार फिर अपनी बात दुहराई और कहा कि तालीम को बच्चों पर मर्कूज़ रखना चाहिए ताकि निसाब पर कोशिश यही होनी चाहिए कि निसाबी तालीम के साथ साथ बच्चे को ऐसा साज़गार माहौल भी फ़राहम किया जाये जहां वो अपनी ज़हानत और दीगर सलाहियतों का लोहा मनवाएं।