इससे बड़ा इत्तेफ़ाक़ दूसरा क्या हो सकता है कि साल 1997 में 28 फ़रवरी को श्रीदेवी की फ़िल्म जुदाई रिलीज़ हुई थी और साल 2018 में इसी दिन वो इस दुनिया से अंतिम जुदाई ले गईं.
24 फ़रवरी की रात दुबई के एक होटल में अंतिम सांस लेने वालीं श्रीदेवी मंगलवार अपने देश लौटीं.
मंगलवार रात अँधेरी के लोखंडवाला स्थित ‘ग्रीन एकर्स’ में श्रीदेवी का पार्थिव शरीर पहुंचा था और बुधवार सवेरे उनका आख़िरी सफ़र शुरू हुआ.
घर से श्मशान भूमि का फ़ासला 5 किलोमीटर से ज़्यादा था और रास्ते भर पुलिस दल और SRPF के जवान तैनात थे.
लेकिन इस दौरान जिस एक बात ने कई लोगों का ध्यान खींचा, वो थी तिरंगे में लिपटी श्रीदेवी से जुड़ी हुई. वो इसलिए क्योंकि उन्हें राजकीय सम्मान दिया गया था.
राजकीय सम्मान का मतलब है कि इसका सारा इंतज़ाम राज्य सरकार की तरफ़ से किया गया था, जिसमें पुलिस बंदोबस्त पूरा था. शव को तिरंगे में लपेटने के अलावा उन्हें बंदूकों से सलामी भी दी गई.
आम तौर पर राजकीय सम्मान बड़े नेताओं को दिया जाता है, जिनमें प्रधानमंत्री, मंत्री और दूसरे संवैधानिक पदों पर बैठे लोग शामिल होते हैं.
जिस व्यक्ति को राजकीय सम्मान देने का फ़ैसला किया जाता है उनके अंतिम सफ़र का इंतज़ाम राज्य या केंद्र सरकार की तरफ़ से किया जाता है. शव को तिरंगे में लपेटा जाता है और गन सैल्यूट भी दिया जाता है.
पहले ये सम्मान चुनिंदा लोगों को ही दिया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है. अब स्टेट फ़्यूनरल या राजकीय सम्मान इस बात पर निर्भर करता है कि जाने वाला व्यक्ति क्या ओहदा या क़द रखता है.
पूर्व कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एम सी ननाइयाह ने रेडिफ़ से कहा था, ”अब ये राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर करता है. वो इस बात का फ़ैसला करती है कि व्यक्ति विशेष का क़द क्या है और इसी हिसाब से तय किया जाता है कि राजकीय सम्मान दिया जाना है या नहीं. अब ऐसे कोई तय दिशा-निर्देश नहीं हैं.”
सरकार राजनीति, साहित्य, कानून, विज्ञान और सिनेमा जैसे क्षेत्रों में अहम किरदार अदा करने वाले लोगों के जाने पर उन्हें राजकीय सम्मान देती है.
इस बात का फ़ैसला आम तौर पर राज्य का मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट के वरिष्ठ साथियों से चर्चा करने के बाद करता है.
एक बार फ़ैसला हो जाने पर राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी जाती है जिनमें डिप्टी कमिश्नर, पुलिस कमिश्नर, पुलिस निरीक्षक शामिल हैं. इन सभी पर राजकीय सम्मान की तैयारियों का ज़िम्मा होता है.
ऐसा बताया जाता है कि स्वतंत्र भारत में पहला राजकीय सम्मान वाला अंतिम संस्कार महात्मा गांधी का था.
इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को भी राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई थी.
इसके अलावा मदर टेरेसा को भी राजकीय सम्मान दिया गया था. वो राजनीति से ताल्लुक़ नहीं रखती थीं लेकिन समाज सेवा में अहम योगदान देने के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया.
इसके अलावा लाखों अनुयायियों वाले सत्य साईं बाबा अप्रैल, 2011 में जब दुनिया छोड़ गए थे तो राज्य सरकार ने उन्हें भी राजकीय सम्मान दिया गया था.
गृह मंत्रालय के आला अफ़सर रहे एस सी श्रीवास्तव ने बीबीसी को बताया कि राज्य सरकार अपने स्तर पर फ़ैसला करती है कि किसे राजकीय सम्मान दिया जाना है और उसे इस बात का पूरा अधिकार है.
लेकिन क्या श्रीदेवी ये सम्मान हासिल करने वाली फ़िल्मी दुनिया की पहली शख्सियत हैं, उन्होंने जवाब दिया, ”मुझे लगता है ऐसा नहीं है. उनसे पहले शशि कपूर को भी राजकीय सम्मान दिया गया था.”
पिछले साल दिसंबर में शशि कपूर का निधन हुआ था और उन्हें भी राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई थी.
हालांकि, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना और शम्मी कपूर जैसे दिग्गज कलाकारों को राजकीय सम्मान नहीं दिया गया था.
ख़ास बात है कि अगर राज्य सरकार राजकीय सम्मान देने का फ़ैसला करती है, तो इसका असर प्रदेश भर में दिखता है.
लेकिन अगर केंद्र सरकार ये फ़ैसला करती है तो भारत भर में ये प्रक्रिया अपनाई जाती है. कई मामलों में राष्ट्रध्वज को आधा झुका दिया जाता है.
जब केंद्र सरकार की तरफ़ से राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है तो क्या-क्या होता है:
- फ़्लैग कोड ऑफ़ इंडिया के मुताबिक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया जाता है. इस बात का फ़ैसला सिर्फ़ राष्ट्रपति करते हैं कि ये कितने समय के लिए करना है.
- सार्वजनिक अवकाश होता है.
- ताबूत को तिरंगे से लपेटा जाता है.
- क्रिया या सुपुर्द-ए-ख़ाक के समय बंदूकों से सलामी दी जाती है
वो प्रधानमंत्री जो मृत्यु के वक़्त पद पर थे और जिन्हें राजकीय सम्मान दिया गया
- जवाहरलाल नेहरू
- लाल बहादुर शास्त्री
- इंदिरा गांधी
- राजीव गांधी
- मोरारजी देसाई
- चंद्र शेखर सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री
- ज्योति बसु
- ई के मालॉन्ग
कुछ ख़ास लोग
- महात्मा गांधी
- मदर टेरेसा
- गंगुभाई हंगल
- भीमसेन जोशी
- बाल ठाकरे
- सरबजीत सिंह
- एयर मार्शल अर्जन सिंह
एक बार फिर लौटते हैं श्रीदेवी की राजकीय सम्मान के साथ हुई विदाई पर. जब तिरंगे से लिपटे शव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो कई लोगों ने इस पर सवाल उठाने में भी देर नहीं लगाई.
तुषार ने लिखा, ”श्रीदेवी के शव को तिरंगे में क्यों लपेटा गया है? क्या उन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है?”
”क्या किसी फ़िल्मी सितारे के निधन की तुलना सरहद पर मारे जाने वाले सैनिक से की जा सकती है? क्या बॉलीवुड में काम करना देश की सेवा करने के बराबर है?”
तहसीन पूनावाला ने लिखा, ”श्रीदेवी का पूरा सम्मान है लेकिन क्या उनके शव को तिरंगे में लपेटा गया है? अगर हां, तो क्या उन्हें राजकीय सम्मान दिया गया है? सिर्फ़ पूछ रहा हूं…मेरा मतलब है कि मैं किसी का अपमान नहीं कर रहा और न ही मुझे किसी बात पर आपत्ति है.”
इंडिया फ़र्स्ट हैंडल से लिखा गया है, ”मुझे लगता है कि हर उस किसान को इसी तरह का सम्मान दिया जाना चाहिए जैसा कि श्रीदेवी को दिया गया है.”