आगरा: जहाँ पुरे देश में तीन तलाक़ और सामान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बवाल मचा हुआ है, वहीं पर मुस्लिम बुद्धिजीवी और आरएसएस इस स्तिथी से बाहर निकलने के बारे में या यूँ कहे इस का हल निकालने में मसरूफ हैं।आरएसएस के एक समूह और मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने आगरा में पर्सनल लॉ के मामले से निपटने के लिए एक गोपनीय बैठक बुलाई।
ब्रज क्षेत्र के मुसलमानो का कहना है की यह आरएसएस की 2017 में पांच प्रदेशों के चुनावों के मद्देनजर मुसलमानों का समर्थन पाने के लिए एक चुनाविक चाल है। इस बैठक में आरएसएस के राष्ट्रिय मुस्लिम मंच के अध्यक्ष दत्तात्रेय होस्बोल, इंद्रेश कुमार और कृष्णा गोपाल शामिल हुए।
ब्रज क्षेत्र के 110 मुस्लिम बुद्धिजीवी और पूरा देश इस बैठक के समर्थन में सामने आया है। अलीगढ़ मुस्लिम युनिवेर्सिटी के पूर्व कुलपुति महमूद उर रहमान, पूर्व रजिस्ट्रार शाहरुख़ शमशाद, इकोनॉमिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. ज़ाहिद ऐ खान और एआईएमपीएलबी के सदस्य प्रॉ. एम् शब्बीर इस बैठक में शामिल हुए और इंडिया टुडे से बात करते हुए बताया हुआ की आरएसएस के इस कदम से समानता और भाईचारा बढेगा और साथ ही लोगों के अंदर देश के विकास में भाग लेने की इच्छा भी जागरूक होगी।
प्रॉ. शब्बीर ने बताया कि सभी ने इस बैठक में खुले दिल से बात की और यह तय किया गया कि शिक्षा रोजगार और कानूनी प्रक्रिया में भाग लेने से मुसलमान इस देश का एक अहम हिस्सा बन सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि 44 मुस्लिम देश क़ुरान के मुताबिक पर्सनल लॉ में बदलाव कर चुके हैं तो हम भी यह बदलाव कर सकते हैं, लेकिन अगर यह बदलाव किसी मुस्लिम संगठन की और से पेश किया जायेगा तो ज़्यादा लोग इसको मानेंगे। तीन तलाक और नागरिक सहिंता के मुद्दे पर एक सार्वजानिक फैसला लिया जा सकता है।
डॉ. मुफ़्ती ज़ाहिद ने कहा कि इस बैठक में आरएसएस और मुसलमानों के बीच की कड़वाहट बहुत हद तक काम हुई है, लेकिन अब भी यह समझना मुश्किल है कि हरियाणा दंगे में पेलोट बन्दुक का इस्तेमाल कयूं नहीं किया, जहां पर जाटों के द्वारा मारकाट फैलाई गई, कश्मीर में इसका प्रयोग कयूं किया गया जहाँ मुस्लिम लाचार थे। आगे उन्होंने कहा कोई गुजरात दंगो पर बात नहीं करना चाहता अगर कोई भोपाल एनकाउंटर के बारे में कुछ पूछता है तो उसको राष्ट्रद्रोह करार दिया जाता है कानून बिना किसे भेदभाव के हर एक भारतीय नागरिक के लिए समान होना चाहिए।
भारतीय मुस्लिम विकास परिषद् के चेयरमैन समी अगायी ने बताया कि आरएसएस का ये कदम मोदी के फायदे के लिए है जो की पांच प्रदेशों में होने जा रहे चुनावों को देखते हुए लिया गया है जिसपर सिर्फ मोदी ही नहीं बल्कि बीजेपी नेता अमित शाह का राजनैतिक भविष्य भी टिका हुआ है खासतौर से उत्तरप्रदेश जहां से मोदी और ग्रह मंत्री राजनाथ सिंह एमपी हैं। आगे उन्होंने कहा कि ऐसी बैठक मुसलमानों की राय में बदलाव नहीं करेंगी और जो मुसलमान इस बैठक में शामिल हुए है समुदाय में उनकी कोई इतनी बड़ी बात नहीं है।
ऑल इंडिया क़ुरैश वेलफेयर सोसाइटी के जेनेरल सेक्रेटरी मोहम्मद आरिफ एड्वोकेट ने बताया कि जैसे ही चुनाव आते हैं वैसे ही बीजेपी को मुसलमानो की याद आती है और चुनाव के जाते ही बीजीपी और आरएसएस साम्प्रदायिक प्रतिहिंसा और मुसलमानो पर झूठे आरोपों के साथ लौट आती है। आगे उन्होंने कहा कि सारी राजनैतिक पार्टियां मुसलमानों को सोने की मुर्गी समझती हैं लेकिन अब मुसलमानो को ये सब चालें समझ आने लगी हैं और अब मुस्लिम उसी को वोट देंगे जो पार्टी उनके हित में होगी।