कोलकाता। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को सरकार द्वारा तीन तलाक पर रोक लगाने और समान नागरिक संहिता लागू करने का पुरजोर विरोध किया। बोर्ड ने कहा कि विवाह, तलाक, गोद लेने जैसे मुद्दों पर ईश्वर से मिले शरीयत के कानून को किसी व्यक्ति या प्राधिकारी द्वारा बदला नहीं जा सकता।
बोर्ड ने इस सिलसिले में सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर किया है। साथ ही अपना पक्ष रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पांच केंद्रीय मंत्रियों से संपर्क किया है।
कोलकाता में अपनी 25वीं वार्षिक आमसभा के बाद बोर्ड ने कहा, “बोर्ड मुद्दों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उठाने में सक्षम है। उसे उम्मीद है कि देश में किसी भी धर्म के लोगों के संविधान प्रदत्त अधिकारों से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।”
बोर्ड ने कहा कि महिलाओं समेत पूरा मुस्लिम समुदाय शरीयत कानून के पक्ष में है। निजी कानूनों में सरकार की दखलंदाजी की कोशिशें विफल होंगी।
बोर्ड की हाल ही में गठित महिला शाखा की संयोजक डाक्टर असमा जहरा ने कहा, “मुस्लिम महिलाएं बड़ी संख्या में बोर्ड का समर्थन करने के लिए आगे आ रही हैं। मुस्लिम महिलाओं को शोषित-उत्पीड़त दिखाने की सरकार की कोशिश पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की चाल है।”
बोर्ड ने हाल में महिला शाखा के गठन का ऐलान किया है। यह मुसलमानों में तलाक, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों पर काम करेगी। यह उर्दू, अंग्रेजी और आठ अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में महिलाओं की मदद के लिए टोलफ्री ‘आल इंडिया मुस्लिम वोमेन हेल्पलाइन’ शुरू करेगी।
बोर्ड के सदस्यों ने तीन तलाक के समर्थन में कहा कि अन्य समुदायों में जिस तरह से महिलाओं को छोड़ दिया जाता है उससे बेहतर है कि महिला को उसका पति यूं ही छोड़ देने के बजाए तलाक दे दे।
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