तीन तलाक पर राज्यसभा में आज आर-पार, कानून मंत्री पेश करेंगे विधेयक

तीन तलाक (विवाह के संरक्षण का अधिकार) विधेयक पर आज राज्यसभा में आरपार की तैयारी है। कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दलों ने साफ कर दिया है कि वर्तमान स्वरूप में वह विधेयक को पारित नहीं होने देंगे। वहीं, सरकार का दावा है कि वह विधेयक पारित कराने में सफल रहेगी। भाजपा-कांग्रेस समेत सभी दलों ने व्हिप जारी कर अपने सांसदों को राज्यसभा में उपस्थित रहने को कहा है।

पिछले सप्ताह लोकसभा में विधेयक पारित हुआ था। वहां भी सरकार को 11 विपक्षी दलों का साथ नहीं मिला था। सरकार के सहयोगी समझे जाने वाले अन्नाद्रमुक और बीजद ने भी वॉकआउट किया था। लोकसभा में संख्याबल सरकार के साथ है लेकिन राज्यसभा में स्थिति उलट है। जिन दलों ने लोकसभा में तीन तलाक विधेयक का विरोध किया। उनके पास राज्यसभा में 244 में से 126 सीटें हैं। इसके अलावा बसपा, द्रमुक, ‘आप’ समेत कई कई छोटे दलों का रुख का पता नहीं है। लेकिन उनके सरकार के साथ जाने की उम्मीद कम है।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद सोमवार को विधेयक को उच्च सदन में पेश करेंगे और पारित करने का अनुरोध करेंगे। लेकिन कांग्रेस ने कहा कि वह पुराने रुख पर कायम है। राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि विधेयक में आपराधिकता वाले प्रावधान पर कांग्रेस को आपत्ति है। कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने शनिवार को कोच्चि में कहा कि राज्यसभा में कांग्रेस अन्य दलों के साथ मिलकर विधेयक को मौजूदा स्वरूप में पारित नहीं होने देगी।

राज्यसभा में सरकार के पास संख्याबल नहीं है। उसके पास दो विकल्प हैं। एक वह अन्नाद्रमुक, बीजद जैसे अपने मित्र दलों को विधेयक के लिए मना ले। अन्नाद्रमुक के 13 तथा बीजद के नौ सदस्य राज्यसभा में हैं। ये दो दल यदि सरकार के पक्ष में आ जाएं या अनुपस्थित हो जाएं तो विधेयक को पारित करना संभव हो सकता है। दूसरा विकल्प यह है कि वह विधेयक पर विपक्ष की बात मान ले और संयुक्त प्रवर समिति को भेज दे। समिति को दो-तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने को कहा जा सकता है ताकि इसे सत्र के अगले चरण में पारित किया जा सके।

तो खत्म हो जाएगा कानून
केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये इस कानून को लागू कर दिया है। यह विधेयक 19 सितंबर को लाए अध्यादेश के बदले आ रहा है। यदि इस सत्र में यह पारित नहीं होता है तो फिर अध्यादेश निरस्त हो जाएगा। चूंकि इसके बाद आम चुनाव होने हैं इसलिए यह मामला आगे तक लटक जाएगा। नई सरकार को लोकसभा में भी फिर से यह विधेयक पारित कराना होगा।

कांग्रेस की आपत्ति क्या है ?
कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति मिलनी चाहिए। लेकिन तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक की सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए। तर्क है कि तलाक देने पर किसी भी कानून में पति के लिए सजा का प्रावधान नहीं है। तलाक एक सिविल मामला है, उसे आपराधिक नहीं बनाया जा सकता है। फिर पति जेल चला जाएगा तो महिला का भरण-पोषण या मुआवजे का भुगतान कैसे होगा। अदालत ने भी ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया है। यहां तक कि कानून बनाने की बात भी अल्पमत के फैसले में है। सिर्फ एक जज ने यह सुझाव दिया था।

 

राज्यसभा में संख्या बल
कुल संख्या 244

विधेयक के विरोध में दल (लोकसभा में रुख के आधार पर)
कांग्रेस-50
सपा-13
अन्नाद्रमुक-13
तृणमूल-13
बीजद-9
तेदेपा-6
टीआरएस-6
राजद-5
माकपा-5
राकांपा-4
भाकपा-2

-इन 11 दलों की कुल संख्या 126 है जो कुल संख्या के आधे से ज्यादा है।

-लोकसभा में बसपा का प्रतिनिधित्व नहीं है, इसलिए उसका रुख क्या रहेगा स्पष्ट नहीं है, राज्यसभा में उसके चार सदस्य हैं। सी प्रकार द्रमुक और आम आदमी पार्टी भी सरकार के खिलाफ वोट कर सकते हैं। इनकी सीटें क्रमश चार एवं तीन हैं।

एनडीए के पास संख्याबल सौ से भी नीचे
भाजपा-73
जद(यू)-6
अकाली दल-3
शिवसेना-3
कुल-85
छोटे घटक दल-10