विवादास्पद तीन तलाक बिल भले ही लोकसभा में पास हो गया हो पर राज्यसभा में इसे विपक्षी दलों का कड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है। दरअसल, एकजुट विपक्ष इस बिल को आगे जांच के लिए सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि उच्च सदन में अगर संख्याबल की बात की जाए तो वह विपक्ष के साथ जाता दिख रहा है। सोमवार को बिल राज्यसभा में आने की संभावना है और सरकार व विपक्ष दोनों तरफ से रणनीति पर काम भी शुरू हो गया है। इस बीच, शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही हंगामे के कारण दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
आपको बता दें कि राज्यसभा में UPA के पास 112 सदस्य है जबकि NDA के पास 93। एक सीट खाली है। बाकी दूसरी पार्टियों के 39 सदस्य NDA या UPA से संबद्ध नहीं हैं और ऐसे में वे इस विवादास्पद कानून को पास कराने या रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वैसे, 245 सदस्यीय सदन में 123 के आधे आंकड़े से NDA दूर है लेकिन यह भी सच है कि राज्यसभा के डेप्युटी चेयरमैन के चुनाव में उसे जीत मिली थी।
RS डेप्युटी चेयरमैन चुनाव में मिली थी जीत
NDA की ओर से जनता दल (युनाइटेड) के उम्मीदवार हरिवंश को 125 वोट मिले थे जबकि विपक्ष समर्थित कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद को 101 वोट मिले थे। ऐसे में सरकार इस बिल को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही है। इस कानून के तहत मुस्लिम व्यक्ति के द्वारा एक बार में तीन तलाक देना अपराध घोषित किया गया है। सरकार को उम्मीद है कि राज्यसभा में उसे पर्याप्त समर्थन मिलेगा, जो इस बिल के कानून बनने के लिए जरूरी है।
गुरुवार को लोकसभा में बिल पास
इससे पहले गुरुवार को तीखी बहस के बाद एक साल में दूसरी बार लोकसभा ने इस बिल को पास कर दिया। सदन में मौजूद 256 सांसदों में से 245 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि 11 सदस्यों ने इसके खिलाफ अपना वोट दिया। असदुद्दीन ओवैसी के तीन संशोधन प्रस्ताव भी सदन में गिर गए। कई अन्य संशोधन प्रस्तावों को भी मंजूरी नहीं मिली।
सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों ने इस बात को लेकर चर्चा की है कि इस बिल को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की जाएगी। माना जा रहा है सोमवार को यह बिल उच्च सदन में लाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि इससे पहले सोमवार सुबह में राज्यसभा में कांग्रेस के सभी सदस्य संसद में बैठक करेंगे, जिससे कार्यवाही की रणनीति तैयार की जा सके।
‘विपक्ष के पास संख्या है’
उन्होंने कहा, ‘उनकी (सरकार) रुचि सचमुच में लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय में नहीं है।’ एक अन्य नेता ने दावा किया है कि विपक्षी पार्टियां इस बिल के खिलाफ एकजुट हैं और वे इसकी ठीक तरह से जांच कराना चाहती हैं। विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि वे किसी भी हाल में इस बिल को पास नहीं होने देंगे। आपको बता दें कि सिलेक्ट कमिटी के पास बिल भेजने की मांग सरकार पहले ही खारिज कर चुकी है। ऐसे में राज्यसभा से बिल को पास कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।