पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के महासचिव एम. मुहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन तलाक़ पर पारित आर्डिनेंस मुस्लिम महिलाओं की भलाई में नहीं है; बल्कि यह भारतीय मुसमलानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप की राजनैतिक चाल है।
इस अध्यादेश को मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए एक ऐतिहासिक क़दम के तौर पर सराहा जा रहा है, लेकिन इस अचानक क़दम से पहले मुस्लिम महिलाओं के संगठनों और प्रतिनिधियों में से किसी से भी इस सिलसिले में कोई बातचीत नहीं की गई है।
उल्लेखनीय है कि मुस्लिम संगठनों और प्रतिनिधियों ने तीन तलाक़ को ग़ैरक़ानूनी क़रार देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध नहीं किया लेकिन इसे गै़र ज़मानती और क़ैद की सज़ा के लायक़ अपराध क़रार देना बिल्कुल समझ से परे है और इससे पीड़ित महिलाएं और ज़्यादा परेशानी में पड़ जाएंगी।
भारतीय महिलाओं को घर और बाहर दोनों जगह सख़्त अन्याय का सामना करना पड़ता है और आंकड़े यह बताते हैं कि भारतीय महिलाएं बहुत ही दुखद जीवन बिताती हैं। उनके खिलाफ बलात्कार, हत्या, गर्भपात आदि जैसे विभिन्न प्रकार के अत्याचार के मामलों में भयावह वृद्धि हुई है।
साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान साम्प्रदायिक तथा जातिवादी ताक़तें विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाती हैं। महिलाओं की दूसरी समस्याओं से आंखें बंद करके तलाक़ पर आर्डिनेंस लाना, हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि इसके पीछे सरकार का असल उद्देश्य कुछ और ही है।
मुसलमानों के धार्मिक मामलों में इस प्रकार हस्तक्षेप करके बीजेपी सरकार का असल इरादा हिंदू वोटों को अपने हक़ में करना है। मुहम्मद अली जिन्ना ने केंद्र सरकार से इस विवादित आर्डिनेंस को वापस लेने की मांग की।