तीन साल में ढाई सौ माहेरीन डॉक्टरों ने छोड़ी मुलाज़िमत

सेहत महकमा ने साल 2011 में रियासत में माहिरीन डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए 2132 डॉक्टरों की बहाली की अमल शुरू की थी। इस अमल में तकरीबन 400 महिरीन डॉक्टर ही मिल सके थे। बदकिस्मती से मुंतखिब होने के साथ ही इन डॉक्टरों की सर्विस से हटने की अमल भी शुरू हो गई। अब तक तकरीबन ढाई सौ माहेरीन डॉक्टर सर्विस छोड़ चुके हैं। इसका अहम वजह पड़ोसी रियासत उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बराबर तंख्वाह नहीं मिलना है। कैबिनेट के फैसले के बाद भी मरकज़ के बराबर तंख्वाह देने का मामला फंसा हुआ है।

बिहार में डॉक्टरों के लिए साल 2008 में ही अलग से स्पेशियलिस्ट कैडर बना, बावजूद आज तक इसके मुताबिक तंख्वाह देने की इंतेजाम नहीं हो सकी। पांच फरवरी 2014 को कैबिनेट ने माहेरीन डॉक्टरों को मरकज़ के बराबर तंख्वाह देने के लिए पे-बैंड 6600 देने पर अपनी मुहर लगाई थी। यह मामला फाइनेंस महकमा में जेरे गौर है।

ज़्राए से मिली इत्तिला के मुताबिक रियासत में माहेरीन उप संवर्ग के तहत 3400 ओहदे हैं। मौजूदा में कुल 150 डॉक्टर ही इस तबके में काम कर रहे हैं। 2011 में चार सौ माहेरीन डॉक्टर सलेक्शन हुए थे, जिनमें से करीब 350 ने ही ज्वाइन किया था। तंख्वाह कम होने की वजह से ज्वाइन करनेवाले दो सौ डॉक्टरों ने धीरे-धीरे नौकरी छोड़ दी है।

हाल ही में रियासत में माहेरीन डॉक्टरों की बहाली के लिए दो बार में 2930 ओहदे पर बहाली के लिए दरख्वास्त मांगा गया था। बताया जाता है कि करीब 800 डॉक्टरों ने ही दरख्वास्त किया है। यानी अमल पूरी होने के बाद भी माहेरीन डॉक्टरों की भारी कमी रियासत में बनी ही रहेगी।