तीसरे दिन भी बिहार में आए ज़लज़ला के झटके, रियासत में और 20 लोगों की मौत

पीर की शाम 6 बजकर 6 मिनट 49 सेकेंड पर जब ज़मीन फिर डोली, तो गुजिशता 48 घंटों से दहशत में जी रहे लोगों ने यह पूछना शुरू कर दिया कि ‘ऐसा कब तक चलेगा?’ दरअसल, बड़े ज़लज़ले के आफ्टर शॉट्स वाले गेओग्राफिकल -तकनीकी तर्क को लोगों ने खारिज सा मान लिया है। ज़लज़ले के नए-नए सेंटर सामने आ रहे हैं। इन सबके आफ्टर शॉक्स …, कुदरती तौर पर इसके बारे में कोई भी कुछ भी बताने की हालत में नहीं है। हां, झटकों से लोग अब उस तरह नहीं हड़बड़ा रहे।

पीर को महसूस किए गए झटके की रफ्तार 5.1 रही। इसके पहले और बाद में भी तीन और झटके रिकॉर्ड हुए। रियासत के मुहतलिफ़ हिस्सों से पीर को ज़लज़ला के चलते कुल 20 लोगों के मरने की खबर आई। इतवार तक 91 लोग मरे थे। वजीरे आला ने अब तक 57 लोगों के मरने की बात कही है। उनके मुताबिक नेपाल में मरे बिहार के लोगों और बिहार में मरे नेपाल के शहरियों के अहले खाना को भी चार-चार लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा।

मौसम साइंस सेंटर के मुताबिक पहला झटका अहले सुबह 4.47 बजे आया। रफ्तार 3.7 रही। सेंटर नेपाल (जमीन से 20 किलोमीटर नीचे) रहा। दूसरा झटका शाम 6 बजकर 6 मिनट 49 सेकेंड पर आया। इसका सेंटर भारत-नेपाल सरहद (मगरीबी बंगाल बॉर्डर के पास, जमीन से 10 किमी नीचे) रहा। 5.1 की रफ्तार वाला यही झटका लोगों ने महसूस किया। फौरन बाद 6 बजकर 9 मिनट 11 सेकेंड पर तीसरा झटका आया। रफ्तार 3.7 रही। सेंटर नेपाल में जमीन से 20 किमी नीचे रहा। रात 8 बजकर 27 मिनट 1 सेकेंड पर भी ज़मीन डोली। रफ्तार 4.2 की। नेपाल में जमीन के 10 किमी नीचे इसका सेंटर रहा। कुछ लोगों ने इसे भी महसूस किया।
वजीरे आला ने ज़लज़ले के बाद तरह-तरह की मुतालिबात कर रहे सियासी पार्टियों पर निशाना साधा। कहा-जो लोग क़ौमी आफत की मुतालिबात उठा रहे हैं, उनसे क़ौमी आफत का मतलब जानना चाहिए। मेरी राय में तो यह क़ौमी आफत नहीं, बैनअल्क़्वामी आफत है।