‘तुम हमारे किसी तरह ना हुए, वर्ना दुनिया में क्या नहीं होता’….. मोमिन की ग़ज़ल

असर उसको ज़रा नहीं होता
रंज राहत-फिज़ा नहीं होता

तुम हमारे किसी तरह न हुए,
वर्ना दुनिया में क्या नहीं होता

उसने क्या जाने क्या किया लेकर,
दिल किसी काम का नहीं होता

नारसाई से दम रुके तो रुके,
मैं किसी से खफ़ा नहीं होता

तुम मेरे पास होते हो गोया,
जब कोई दूसरा नहीं होता

हाले-दिल यार को लिखूँ क्यूँकर,
हाथ दिल से जुदा नहीं होता

क्यूं सुने अर्ज़े-मुज़तर ऐ ‘मोमिन’
सनम आख़िर ख़ुदा नहीं होता