तुर्की की गोलन तहरीक-और -हैदराबाद की सियासत तहरीक की आलम-ए-इस्लाम में नज़ीर नहीं

हैदराबाद। 3 जनवरी (सियासत न्यूज़) आलमी उर्दू एडीटरस कान्फ़्रैंस के मंदूबीन के एक वफ़दने कल इदारा सियासत की मावराए सहाफ़त सरगर्मियों का मुशाहिदा किया। इस मौक़ा पर महबूब हुसैन जिगर हाल में जारी पर्सनालिटी डेवलपमेनट क्लासस का मुशाहिदा करने के बाद पाकिस्तान के नामवर सहाफ़ती इदारे जंग ग्रुप से वाबस्ता जनाब सुहेल वराइच ने कहा कि वो बह हैसियत सहाफ़ी दुनिया के मुख़्तलिफ़ ख़ितों का दौरा करते रहते हैंमगर मुख़्तलिफ़ महाज़ों पर मुस्लिम उम्मा की नई नसल को तय्यार करने और उन्हें आलमी मुसाबक़त का अहल बनाने की बहुत कम जगहों पर कोशिशें की जा रही हैं और जो कुछ भी किया जा रहा है वो बहुत ही कम है ताहम तुर्की के बाद हिंदुस्तान के शहर हैदराबाद में इस ज़िमन में की जा रही काविशें क़ाबिल तक़लीद हैं।

उन्हों ने बताया कि हाल ही में उन्हें तुर्की का दौरा करने का मौक़ा मिला। तुर्की के मुफ़क्किर फ़तह उल्लाह गोलन ने भी क़ौम की नई नसल को तालीम के मैदान में मुसाबक़त के काबिल बनाने एक जामे और मबसूत तहरीक शुरू कर रखी है जो गोलन तहरीक से मारूफ़ है। मिस्टर वराइच ने बताया कि तुर्की में उन्हों ने गोलन तहरीक की सरगर्मियों का मुशाहिदा किया है। इस तहरीक ने मुल्क के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर एकेडेमीज़ क़ायम कर रखी हैं जहां जो गैर मनफ़अत बख़श अंदाज़ में चलाई जाती हैं जहां नौजवानों को मुख़्तलिफ़ कोर्सेस की तरबियत दी जाती है। पाकिस्तान में इसी रवायात देखने को नहीं मिलतीं ताहम जब वो हैदराबाद आए और इदारा सियासत की सरगर्मियों का मुशाहिदा किया तो वो शुशदर रह गए।

उन्हों ने कहा कि हमारे हाँ की सियासत कुछ और यहां की सियासत कुछ और है। यहां का इदारा सियासत सियासत नहीं करता बल्कि मिल्लत की ख़िदमत करता है। ये सिर्फ एक अख़बार ही नहीं है बल्कि एक तहरीक है। एक एसी तहरीक को जो मिल्लत के नौजवानों के मुस्तक़बिल को ताबनाक बनाती है और फ़रामोश करदा कामों को अंजाम देती है। उन्हों ने कहा कि वो जनाब महमूद शाम से भी ख़ाहिश करेंगे पाकिस्तान जाकर चंद दर्दमंदान क़ौम के सामने इदारा सियासत की मिली सरगर्मियों का तज़किरा करेंगे और पाकिस्तान में भी एसी तहरीकशुरू करने की तरग़ीब देंगे। उन्हों ने नौजवानों को मश्वरा दिया कि वो मेहनत से अपना मुक़ाम बनाने की कोशिश करें।

उन्हों ने बताया कि पाकिस्तान में भी अंग्रेज़ी में महारत का मसला है। अच्छे लब-ओ-लहजा के साथ अंग्रेज़ी में बात चीत करने वालों की भी वहां काफ़ी मांग है। ग्रुप एडीटर ए आर वाई पाकिस्तान जनाब महमूद शाम ने कहा कि किसी भी क़ौम की ताक़त इस के नौजवान होते हैं। हिंद व पाक जैसे तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक में काबिल नौजवानों की सख़्त ज़रूरत है। उन्हों ने नौजवानों पर ज़ोर दिया कि वो एसा इलम हासिल करें जो मुआशरा की तरक़्क़ी के लिए ज़रूरी है। सियासत एक अख़बार नहीं बल्कि मुख़्तलिफ़ मैदानों का अहाता करनेवाली तहरीक है। इदारा सियासत ने मावराए सहाफ़त मुख़्तलिफ़ महाज़ों पर ख़िदमत के अनमिट नुक़ूश छोड़े हैं।

इदारा सियासत की सरगर्मियों का मुशाहिदा करने के बाद ये अंदाज़ा होता है कि एक सहाफ़ती इदारा अपनी क़ौम की तामीर में किस तरह रोल अदा करसकता है। जनाब महमूद शाम ने कहा कि वो कल भी ये बात कह चुके हैं कि उमूमन सियासत को एक बुरी चीज़ समझा जाता है मगर यहां आकर हम ने जो मुशाहिदा क्या वो बुरी समझी जाने वाली सियासत नहीं है। जनाब ज़ाहिद अली ख़ान और जनाब ज़हीर उद्दीन अली ख़ान सियासत नहीं कररहे हैं बल्कि सियासत चला रहे हैं और ये नेक नाम सियासत है। अपने कामों से इदारा का नाम ऊंचा किया है। इदारा सियासत की तहरीक अपनी बिरादरी से जुड़ी हुई है।

एसा काम बहुत कम अख़बारात कररहे हैं। उन्हों ने कहा कि वो यहां आकर बड़ी मुसर्रत महसूस कररहे हैं। उन्हों ने अंग्रेज़ी लब-ओ-लहजा की तरबियत और शख्सियत साज़ी की अहमियत-ओ-अफादियत पर ज़ोर देते हुए कहा कि अंग्रेज़ी राबिता की एक बैन अल-अक़वामी ज़बान है और ये मसाबकती मुक़ाबलामें काम आरही है। उन्हों ने कहा कि बर सग़ीर हिंद की नौजवान नसल अमरीका-ओ-यूरोप का रुख कररही है और यहां बुज़ुर्ग ही बुज़ुर्ग नज़र आने लगे हैं। उन्हों ने नौजवानों को सख़्त मेहनत व मशक़त का मश्वरा देते हुए कहा कि मुस्तक़बिल की तामीर में इस का कलीदी रोल होता है।

उन्हों ने इदारा सियासत की मुख़्तलिफ़ महाज़ों पर जारी काविशों की ज़बरदस्त सताइश की। जनाब वसीम उल-हक़ मुदीर अख़बार मशरिक़ कोलकता ने कहा कि अख़बार नवसि 24 घंटा में अख़बार निकाल देना ही काफ़ी समझते हैं मगर इदारा सियासत ने सहाफ़त से हट कर भी बहुत काम किए हैं। उन्हों ने कहा कि जब बरगद का दरख़्त तनावर होजाता है तो इस की बहुत सी शाख़ें निकल आती हैं। इसी तरह इदारा सियासत ने सहाफ़त के इलावा भी बहुत से मैदानों में सरगर्म होगया है।